नीना गौतम/कुल्लू
पुस्तक विक्रेता संघ व स्कूल प्रबंधनों में चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पुस्तक विक्रेता संघ ने जहां स्कूलों में हो रहे व्यवसाय को रोकने के लिए प्रशासन का दरवाजा खटखटाया है, वहीं निजी स्कूल अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। गत बैठकों में निर्णय हुए थे कि स्कूल अपने स्तर पर बच्चों से व्यवसाय नहीं करेंगे। बावजूद इसके स्कूलों ने फिर से संस्थान के नाम की कापी किताबें छाप कर व्यवसाय शुरू किया है। इस मामले को लेकर पुस्तक विक्रेता संघ ने एक बार फिर मामला डीसी के संज्ञान में लाया है। उधर डीसी यूनुस ने इस मामले को सुलझाने का जिम्मा एडीसी को सौंपा है। पुस्तक विक्रेता संघ ने बैठक में निजी स्कूलों द्वारा चलाई जा रही व्यवसायिक गतिविधियों पर कड़ा ऐतराज जताया है।
संघ के प्रधान अमित कुमार ने कहा कि निजी स्कूलों में धांधली चली हुई है। अभिभावकों को दोनों हाथों से लूटा जा रहा है और निजी स्कूल किताबों कापियों व वर्दियों का कारोबार स्कूल में चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी लोगों के साथ मिलकर इस धंधे को अंजाम दिया जा रहा है। जब इसका विरोध हुआ तो निजी स्कूलों ने शहर में ही कमरे लेकर पुस्तकों का भंडारण करना शुरू किया और इन स्टोरों पर ही अविभावकों को पुस्तक खरीदने के लिए बुलाया जा रहा है। इस कारण पुस्तक विक्रेताओं को भारी नुकसान हो रहा है और अभिभावकों को लूटा जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बुक लिस्ट को निजी स्कूल ओपन नहीं करते हैं, जबकि नियमानुसार तीन माह पहले पुस्तक सूची बाजार में ओपन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुस्तक विक्रेताओं ने सभी स्कूलों को आरटीआई भी डाली, लेकिन किसी भी स्कूल प्रबंधन ने जवाब नहीं दिया है। अब संघ ने निर्णय लिया है कि इसकी शिकायत आरटीआई कमीश्नर से की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस मामले को वे कई बार उपायुक्त व प्रशासन के अन्य अधिकारियों के पास उठा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई भी उचित करवाई नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि अब विक्रेता संघ ने निर्णय लिया है कि संघ इस धांधली को बंद करेगा और जो भी स्कूल इस धांधली में शामिल होगा, उसका पर्दाफाश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों को पुस्तक सूची तीन माह पहले जारी करनी चाहिए और कापियों में स्कूलों का नाम छापना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों को पुस्तकों, कापियों व वर्दी के लिए ओपन टेंडर करने चाहिए, ताकि यह धांधली समाप्त हो और अभिभावकों को इसका लाभ मिल सके।
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