एमबीएम न्यूज़/शिमला
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर मंगलवार को राजधानी में राज्य सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
इस दौरान सीटू से संबंधित विभिन्न ट्रेड युनियनों के मजदूर व कर्मचारियों ने कामकाज ठप्प रखा। ट्रेड यूनियनों के आहवान पर शिमला शहर में कार्यरत एचपीएमआरए, होटल, आईजीएमसी, एसटीपी, गुम्मा वाटर सप्लाई, केएनएच, आरट्रेक, मेंटल हॉस्पिटल, विशाल मेगामार्ट, बीसीएस, ताराहॉल, ऑकलैंड, हिमालयन इंटरनेशनल, ईसीआई शेलेडे स्कूल, सीपीआरआई आदि अनेकों अन्य विभिन्न यूनियनों द्वारा आज हड़ताल की गई। राज्य सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन के दौरान यूनियनों ने केंद्र सरकार को चेताया है कि वह मजदूरों व किसानों के खिलाफ काम करना बंद करे अन्यथा मजदूर और किसान आंदोलन को तेज कर मोदी सरकार को सत्ता से बाहर कर देंगे।
सीटू के राज्य अध्यक्ष जगत राम ने कहा है कि वर्तमान मोदी सरकार पूंजीपतियों व नैगमिक घरानों के लिए कार्य कर रही है। इस सरकार के कार्यकाल में मजदूरों का शोषण तेज हुआ है। इस सरकार के गलत निर्णयों के कारण देश के लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार लगभग पन्द्रह लाख मजदूरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन किए जा रहे हैं। पक्के रोजगार के बजाए आउटसोर्स,कॉन्ट्रैक्ट व पार्ट टाइम पर नौकरियां दी जा रही हैं। किसानों की आत्महत्याएं बढ़ी हैं। अमीरों के कर्ज माफ किया जा रहा है परन्तु किसानों के कर्जे माफ नहीं किये जा रहे हैं। उन्हें लाभकारी मूल्य नहीं दिया जा रहा है। भूमिहीनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस तरह देश में मजदूरों व किसानों का गला घोंटा जा रहा है। उन पर शोषण का शिकंजा तीव्र हो रहा है।
उन्होंने मांग की है कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन अट्ठारह हजार रुपये किया जाए। आंगनबाड़ी,मिड डे मील व आशा वर्करज को रेगुलर किया जाए। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तनों पर रोक लगाई जाए। बीएसएनएल,बीमा,बैंक,रक्षा,बिजली,परिवहन,पोस्टल आदि सार्वजनिक क्षेत्रों को बेचने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। सब कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए व मई 2003 के बाद भर्ती कर्मचारियों का शोषण बन्द किया जाए। आउटसोर्स व कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी पर रोक लगाई तथा कच्चे रोजगार की जगह पक्का रोजगार दिया जाए। समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। मनरेगा में एक सौ बीस दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने मांग की कि सभी मनरेगा व निर्माण मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए।
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