एमबीएम न्यूज़ / हमीरपुर
पुनर्जन्म, एक ऐसी सच्चाई जिस पर आम लोागों का विश्वास हाँ या ना के बराबर ही है। एक तरफ जहां विज्ञान के पास भी पुनर्जन्म को लेकर अलग-अलग थ्योरी है। वहीं लोगो के पास अलग-अलग घटनाएं। एक ऐसी ही घटना हिमाचल के जिला हमीरपुर के तहत राजाओं के शहर सुजानपुर से सामने आई है। जहां पर एक बच्चेें ने पुनर्जन्म लिया है। इसे कुदरत का करिश्मा मानें या पुनर्जन्म से कोई गहरा संबंध कि हमीरपुर में रहने वाले सात वर्षीय बालक कर्ण उर्फ वंशु दिखने सुनने में तो अपने स्व. भाई साजन का हम शक्ल है। लेकिन आचार व्यवहार भी पूरी उसी की तरह करता है।
जितना दिलचस्प सात वर्षीय कर्ण उर्फ वंशु का जीवन है। उतनी ही दिलचस्प व दर्दनाक दास्तां उसके स्व. भाई साजन की है। अचरज यह है कि वर्ष 2005 में निमोनिया बिगडऩे सेे अकाल मृत्यु के आगोश में समां चुके साजन तो इस दुनिया में नहीं है। लेकिन उसका सगा भाई जो उसकी मौत से छ: वर्ष बाद पैदा हुआ है, हुबहू अपने स्व.भाई की तरह क्रियाकलाप करता है। अपने स्व. भाई साजन की तरह गानाा गाने में नन्हा कर्ण गजब महारत रखता है। हालांकि कर्ण दूसरी कक्षा का विद्यार्थी है। साधारण घर से होने के कारण गाने की शिक्षा उसे कही से नहीं मिली। लेकिन उसकी गायन विद्या गजब की है।
क्या है इस अचंभे की कहानी…
सुजानपुर के गांव मिहाड़पुर डॉ. भलेठ के साधारण परिवार में माता रूकमणी व पिता राजकुमार के घर सन् 1997 में एक बेटे का जन्म हुआ जिसका नाम साजन रखा गया। साजन ने जब से बोलना शुरू किया तभी से उसने गाना भी शुरू किया। गायन के प्रति उसकी प्रतिभा अद्भुत थी। लेकिन 2005 में उसका निमोनिया बिगड़ा। यथाशक्ति ईलाज के बावजूद परिवार उसकी जान नहीं बचा पाया। इसी बीच वर्ष 2000 में इस दंपत्ति के एक पुत्री भी पैदा हुई । जिसके उपरांत रूकमणी ने अपना नसबंदी का आप्रेशन करवा लिया। लेकिन बेटे साजन की अकाल मौत के बाद इस परिवार को गहरा सदमा लगा। फिर एक बेटे की चाह में रूकमणी ने अपना नसबंदी ऑपरेशन खुलवा लिया।
मुश्किल से मिडल तक शिक्षा हासिल करने वाली रूकमणी प्रभु ईशु मसीह व ज्वाला माता की अन्नय भक्त है। उसकी आगाध श्रद्धा का परिणाम रहा या प्रभु ईशु के प्रति उसके भरोसे की परीणीति कि बेटे की मौत के बाद इस मौत को इसलिए मौत नहीं माना, क्योंकि मौत के दिन ही उसे सपना आया कि उसके बेटे को प्रभु ईशु ले जा रहे है और जाते-जाते उसके बेटे ने उसे वचन दिया कि मम्मी मैं फिर लौट के आउंगा। इसी सपने के भरोसे रूकमणी ने अपना नसबंदी ऑपरेशन खुलवाया। वर्ष 2008 में फिर एक पुत्र हुआ। लेकिन यह पुत्र साजन की तरह नहीं था। उसका रंग भी स्याह था। जबकि साजन गौरा-चिट्टा था। रूकमणी बताती है, कि इसी रोज उसे फिर सपने में साजन ने आकर बताया कि मम्मी मैं नहीं आ सका। मैं रास्ते में फंसा हूं। यह जो आया है यह कोई ओर है।
एक बार फिर सपने में भरोसा करके रूकमणी ने वर्ष 2011 में एक पुत्र को जन्म दिया। जिसका नाम कर्ण उर्फ वंशु है। वंशु अब सात वर्ष का है। हुबहू अपने भाई का हमशक्ल है।
अचरज यह है कि उसे अपने भाई की हर बात याद है। उसी की तरह गाता है। किसी भी गाने पर एक सधे हुए गायक की तरह सुर लगाता है। रूकमणी इस घटना को प्रभु ईशु व माता ज्वाला का आर्शीवाद मानती है। घटना पुनर्जन्म सी प्रतीत होती है। कुदरत का करिश्मा क्या है, कुदरत जाने। लेकिन कर्ण को अगर गायन की अभी से शिक्षा मिले, तो इस विद्या में गजब की महारत रखने वाला यह नन्हा गायक देश और दुनिया में प्रदेश का नाम रोशन करने का दावा रखता है।
गाने का जनून इसी उम्र में कर्ण के सिर इस कदर चढ़कर बोलता है कि वह रात को उठ उठकर अपने स्व.भाई की तरह कभी भी कही भी गाना शुरू कर देता है। जिस कारण से कभी-कभी उसकी पिटाई भी हो जाती है। कर्ण के माथे पर स्व.भाई साजन की तरह काला तिल भी मौजूद है। जो पुर्नजन्म के शक को यकीन में बदलता है।
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