एमबीएम न्यूज़/नाहन
क्या आप जानते हैं, जो रक्तदाता खून दान करते हैं, उसके क्या उपयोग है। क्या आपके द्वारा किए गए रक्तदान का रोगी को पूरा लाभ मिल पाता है? शायद नहीं जानते होंगे। मेडिकल कॉलेज नाहन में आपके रक्त दान का लाभ केवल अल्प रक्त वाले रोगियों को ही मिल पा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण मेडिकल कॉलेज में ब्लड कंपोनेंट्स सेप्रेशन मशीन का नहीं होना है। जिस कारण प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, पैटसेल आदि के लिए मरीजों को अन्य राज्यों में भागना पड़ता है।
नाहन मेडिकल कॉलेज को अस्तित्व में आए तीन साल पूरे हो चुके हैं। मगर कॉलेज प्रशासन ने अभी तक मेडिकल कॉलेज में ब्लड सेप्रेशन यूनिट की स्थापना नहीं की। प्रदेश के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में आईजीएमसी शिमला, काँगड़ा के टांडा व मंडी में ये यूनिट कार्यरत है। नाहन कॉलेज प्रशासन ने अभी तक लगभग डेढ़ करोड़ की यह मशीन नहीं मंगवाई है।
यूँ तो नाहन कॉलेज में एक अच्छा खासा ब्लड बैंक है। साथ ही ब्लड डोनर की भी लम्बी फेहरिस्त है। मगर फिर भी ब्लड बैंक में जमा ब्लड का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। सेप्रेशन के बाद ब्लड का इस्तेमाल बहुत सारी बिमारियों में किया जा सकता है। खास तौर पर लीवर डिजीज में प्लाज्मा, डेंगू में प्लेटलेट्स, बच्चो में होने वाली थेलेसेमिया और एनीमिया की बीमारी में पैटसेल रोगी को चढ़ाये जाते हैं। लेकिन यह तभी संभव हो सकता है, जब ब्लड बैंक के अंदर कॉम्पोनेन्ट सेपरेशन यूनिट हो। दरअसल अगर सेपरेशन यूनिट से ब्लड को अलग- अलग हिस्सो में बांट दिया जाये तो अलग- अलग रोगियों को एक रक्तदाता का खून दिया जा सकता है। लेकिन यहाँ एक ही रोगी को खून चढ़ा दिया जाता है। इस यूनिट की कीमत करीब डेढ़ करोड़ है जो एक मेडिकल कॉलेज के लिए मामूली सी रकम है।
मेडिकल कॉलेज के उदघाटन के समय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने वादा किया था कि यहां तीन साल के भीतर सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। मगर स्थिति जस की तस है।
कुल मिलाकर मेडिकल साईंस के नजरिए से देखा जाए तो खून का इस्तेमाल सही नहीं हो रहा। एक तरह से रक्तदाता को भी इस बात का इल्म नहीं होगा कि डोनेट किए जाने वाले ब्लड से एक नहीं बल्कि कई रोगियों को जीवन मिल सकता है।