शिमला (एमबीएम न्यूज़) : प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि रोजगार के संदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है, जो केवल चुनिंदा आंकड़ों पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने जिन आंकड़ों का उल्लेख किया है वे केवल श्रम एवं रोजगार विभाग के रोजगार कार्यालयों पर आधारित है। उन्होंने जिन आंकड़ों का जिक्र किया है, उनमें हिप्र लोक सेवा आयोग और हिप्र अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड द्वारा अधिसूचित किए गए रिक्त पदों और भरे गए पद शामिल नहीं हैं, जिन्हें सीधी भर्ती, खुली प्रतियोगिता और विभिन्न विभागों द्वारा आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरा गया है।
उन्होंने कहा कि धूमल ने कुछ चुने हुए आंकड़े ही दिए हैं, जबकि आर्थिकी एवं साख्यिकी विभाग ने कर्मचारियों की गणना का जो कार्य किया है, उसके अनुरूप प्रदेश में 1,82,049 नियमित कर्मचारी 22,878 अनुबंध कर्मचारी, 11,512 दैनिक भोगी कर्मचारी, 6312 अंशकालिक और 3880 स्वयं सेवी/विद्या उपासक/पैट कर्मचारी हैं। इस प्रकार 31 मार्च, 2015 तक केवल सरकारी क्षेत्र में ही 2,26,634 कर्मचारी थे। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 34,246 और शहरी स्थानीय निकायों में 3133 कर्मचारी थे। 31 मार्च, 2015 को कुल कर्मचारियों की संख्या 2,64,013 थी।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में राज्य की जनसंख्या के अनुरूप कर्मचारियों की संख्या की दर 3.94 प्रतिशत है, जो देश में सर्वाधिक है। पंजाब राज्य में यह दर 1.56 प्रतिशत, उत्तराखंड में 1.54 प्रतिशत, हरियाणा में 1.29 प्रतिशत, जम्मू एवं कश्मीर में 1.30 प्रतिशत है और राष्ट्रीय दर 1.40 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों के वेतन के भुगतान पर 8500 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, जबकि राज्य का कर और गैर-कर राजस्व 7000 करोड़ रुपये है।
प्रवक्ता ने कहा कि श्रम एवं रोजगार कार्यालयों के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि लाइव रजिस्टर में 2014-15 में आवेदकों की संख्या 892988 थी, जो 2015-16 में घटकर 828048 रह गई और इस प्रकार 64940 आवेदक कम हो गए। यह इस बात का प्रमाण है कि वर्ष 2015-16 में युवाओं को सरकारी व निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अपार अवसर उपलब्ध हुए।