नाहन: तकरीबन 335 साल पहले सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज नाहन आए थे। यहां उन्होंने काफी समय बिताया। सिरमौर रियासत की खुशहाली व उन्नति के लिए तत्कालीन शासक मेदनी प्रकाश ने गुरु जी महाराज को रियासत की राजधानी में बुलाया था। साढ़े तीन शताब्दी बीत चुकी हैं, मगर गुरु जी की एक निशानी आज भी मौजूद है,जो रियासत के अंतिम शासक राजेंद्र प्रकाश की बेटी व जयपुर राजघराने की राजमाता पदमिनी देवी के संरक्षण में है।
करीब 35 साल बाद शहरवासियों को गुरु जी की निशानी ‘‘तलवार’’ के दर्शन 16 मई 2013 को शाही महल में उस वक्त हुए थे, जब राजमाता अपने नाती लक्ष्यराज का मंगलतिलक करने पहुंची थी। हर साल शहर में 30 अप्रैल का दिन गुरु जी के आगमन दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट एएस शाह के मुताबिक गुरु जी महाराज नाहन आए थे। यहां पहुंचकर उन्होंने अपना अधिकतर वक्त उस स्थान पर बिताया था, जहां आज श्री दशमेश अस्थान के नाम से जाना जाता है।
ऐसी भी है धारणा
ऐसी धार्मिक आस्था है कि जब तक गुरु जी महाराज की निशानी नाहन में रही, तब तक शहर ने तरक्की व उन्नति की। मई 2013 में तलवार को शाही महल में लाया गया। इसके बाद से अगर देखा जाए तो शहर को विकास की कई बड़ी सौगातें मिली हैं। मेडीकल कॉलेज के अलावा आईआईएम बड़ी बातें हैं। बरसों पुराने कॉलेज भवन के मुद्दे का भी समाधान हुआ।