नाहन : सिरमौर के हरिपुरधार में शिव की 65 फीट ऊंची प्रतिमा के निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। 8 हजार फीट की ऊंचाई पर निर्माण कठिन भी है। लेकिन मां भंगयाणी मंदिर सेवा समिति ने लगभग 25 लाख की लागत से इसका बीड़ा उठाया है। मां भंगयाणी माता का प्राचीन मंदिर लगभग 7 हजार फीट की ऊंचाई पर है। शिव की प्रतिमा का निर्माण चूड़धार चोटी की तलहटी में हो रहा है। अहम बात यह है कि निर्माण पूरा होने के बाद मूर्ति के दीदार न केवल उत्तराखंड के चकरोता क्षेत्र से भी हो सकेंगे। बल्कि दावा यह भी किया जा रहा है कि इसे नाहन विकास खंड के कई हिस्सों से भी देखा जा सकेगा।
प्रतिमा के निर्माण की जिम्मेदारी तमिलनाडू के आधा दर्जन कारीगरों को मिली है। इसके अलावा एक दर्जन स्थानीय कारीगर भी इसमें शामिल किए गए हैं। प्रतिमा का निर्माण मई 2020 से पहले करने का लक्ष्य रखा गया है। ताकि इसका अनावरण हर साल आयोजित होने वाले मेले में किया जा सके। दावा यह भी है कि शिव की प्रतिमा का दीदार 100 किलोमीटर दूर से भी हो सकेगा। जमटा, सराहां, नैनाटिक्कर, नैनीधार, चांदपुर व गत्ताधार से मौसम साफ होने की सूरत में स्पष्ट तौर पर मूर्ति का दीदार हो सकेगा। उम्मीद की जा रही है कि प्रतिमा के निर्माण से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
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शिमला व सिरमौर के आराध्य देव भगवान शिरगुल को शिव का अवतार माना जाता है। किदवंती के मुताबिक मां भंगयाणी शिरगुल महाराज जी की मुंहबोली बहन है। उल्लेखनीय है कि माता भंगयाणी मंदिर भी खूबसूरत वादियों में स्थित है। बर्फ के समय नजारा बेहद ही मनमोहक हो जाता है। यहां तक की परिसर से मध्य हिमालय की श्रृंखलाएं भी नजर आ जाती है।
क्या है कुछ खास बातें…
प्रतिमा का निर्माण मंदिर से करीब 1200 मीटर की दूरी पर स्थित टिम्बा पर किया जा रहा है। ऐसी भी धारणा है कि इस चोटी पर शिरगुल का वास है। इस जगह पर शिरगुल महाराज का एक छोटा प्राचीन मंदिर भी है। हालांकि अब मंदिर के केवल अवशेष ही बचे हैं। इस स्थान से चूड़धार स्थित प्राचीन मंदिर को भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। इस स्थान से चूड़धार की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। ऐसी भी धारणा है कि जो लोग चूड़धार नहीं जा सकते, टिम्बा में भी भगवान शिरगुल की अराधना कर सकते हैं।