सुंदरनगर : पहाड़ों की गोद में बसा हिमाचल देवों-देवताओ की धरती के साथ भूतों-प्रेतों के रहस्यों का भी स्वामी है। भूतिया दुनिया से जुड़ी यहां कई ऐसी कहानियां हैं जो एक इंसान के लिए सबसे बड़ा रहस्य बन कर रह गई है, जिन पर विश्वास करना नामुमकिन हो जाता है। लेकिन स्थानीय लोगों का विश्वास और आस्था इन पर यकीन करने के लिए मजबूर कर देती हैं।
आज हम आप को लेकर जा रहे है एक ऐसी ही रहस्यमयी, तिलस्म व आस्था से भरपूर सदियों पुरानी बेताल की गुफा में जो हिमाचल प्रदेश के मंडी के सुंदरनगर उपमंडल की ग्राम पंचायत कलौहड़ के भौणबाड़ी में स्थित है। हिमालय की पहाडिय़ों की गोद में छुपा हुआ इस बेताल गुफा का रहस्य हर व्यक्ति को आश्चर्यचकित कर देता है। स्थानीय लोगों की मान्यतानुसार सच्चे दिल के साथ यहां कोई मन्नत मांगता है तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है।
गुफा के रहस्य की मौके पर पड़ताल करने पर पाया गया कि सदियो पहले इस गुफा की छत व दीवारों से देसी घी टपकता था, जिस का प्रमाण मौके पर देखने को मिलता हैं। वहीं इस गुफा में मौजूद बेताल देवता से स्थानीय लोगों द्वारा अपने घरों में विवाह आदि बड़े आयोजनों के लिए उपयोग में लाए जाने वाले बर्तनों की मांग की जाती थी। सुबह देवता द्वारा भक्त की मांग को पूरा कर गुफा के बाहर बर्तन मौजूद होते थे। लेकिन समय व मनुष्य के व्यवहार में बदलाव के कारण इन रहस्यों पर धीरे-धीरे पर्दा गिरता रहा और एक इतिहास का निर्माण हो गया।
पाताल लोक में मौजूद है गुफा, 5 भाईयों सहित विराजमान हैं बेताल भैरवी….
बेताल गुफा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सुंदरनगर तहसील की ग्राम पंचायत कलौहड़ के भौणबाड़ी में स्थित है। इस रहस्यमयी गुफा की लंबाई लगभग 50 से 60 मीटर और ऊंचाई महज 15 से 20 फीट है। यह गुफा दो तरफ से खुलती है, जिसका एक मुख चौड़ा और दूसरा मुख कम व्यास वाला है। बेताल गुफा के भीतर 15-20 मूर्तियां बेताल भैरवी देवता सहित अन्य देवताओं की हैं। इन पर ईश्वर के चित्र अंकित हैं। यह मूर्तियां जमीन से नीचे पाताल लोक में विराजमान हैं। बेताल देवता 5 भाई हैं। इस गुफा के अंदर से नाले का पानी भी बहता है, जिसकी मधुर आवाज किसी संगीत जैसी लगती है। कहा जाता है कि अगर इस गुफा में कोई बर्तन या फिर देसी घी मांगता है तो उसकी इच्छा निश्चित तौर पर पूरी होती थी।
आखिर कैसे बंद हो गए गुफा के सभी चमत्कार….
स्थानीय निवासी कृष्ण चंद चौधरी ने बताया कि बुजुर्गो के अनुसार एक बार किसी के घर में शादी थी और घर के मुखिया के मांगने पर गुफा ने उसे काफी मात्रा में बर्तन दिए, लेकिन मुखिया के मन में लालच आ गया और उसने ये बर्तन वापस ही नहीं किए और इसके बाद गुफा से बर्तन मिलना हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गए, गुफा से घी टपकता था जो बाद में बंद हो गया। यहां इसके बारे में भी एक किवदंति हैं। कहा जाता है कि एक बार एक चरवाहा अपने पशुओं को चरा रहा था। पशुओं को चराते-चराते उसे रात हो गई और गुफा को सुरक्षित स्थान मानकर उसने यहां रात बीताने की योजना बनाई। चरवाहा दिन में अपने साथ रोटी ले आया था और रात को सोने से पहले वो रोटी खाने लगा। कहा जाता है कि वो चरवाहा गुफा की दीवारों से टपकते घी के साथ रोटी लगाकर खा रहा था, जिससे यह घी जूठा और अपवित्र हो गया। और तब से इन दीवारों से घी टपकना बंद हो गया।
बेताल भैरवी करते हैं पशुओं की बीमारियों का ईलाज ….
जब क्षेत्र के विभिन्न गांवों के पशु बीमार पड़ते हैं या दूध देना बंद कर देते हैं तो गुफा के पास पूठा-पाठ करने से सारी समस्याएं दूर हो जाती है। मान्यतानुसार पशुओं का मुंहखुर व टीक्स(चीडऩ)की बिमारी से ग्रस्त होने पर स्थानीय लोग बाबरू व रोगग्रस्त गाय का दूध देवता को चढ़ाते हैं। इसके उपरांत उसी लोटे में गुफा से बह रहे पानी से पशु पर छिडक़ाव करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रोग से निजात पाई जाती है।
बेताल गुफा में मौजूद बेताल भैरवी देवता की प्रत्येक माह सक्रांत के अवसर पर विधिवत पूजन किया जाता है। इस दिन स्थानीय लोग परिवार सहित गुफा में आकर पूजन कर देवता का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। अन्य दिनों में भी भक्त देवता से मांगी गई मुराद पूरी होने पर गुफा में जातर लाकर देवता का धन्यवाद करते हैं। वहीं प्रत्येक रविवार व मंगलवार को भी बेताल गुफा में देवता के समक्ष खासी भीड़ रहती हैं।
बेताल भैरवी देवता ने बचाया वंश …
बेताल गुफा के पास वर्षों से रहने वाले लोग शिक्षा विभाग से बतौर भाषा अध्यापक सेवानिवृत कृष्ण चंद चौधरी के अनुसार गुफा के आसपास के क्षेत्र में पुरुष जयादा दिन तक जीवित नहीं रहते थे,जिस कारण इनका कुनबा समाप्त होने की कगार पर आ गया था। इस कारण इनकी दादी इन्हें सुंदरनगर के मलोह क्षेत्र से यहां लेकर आई तो सभी की शादियां हुई और आज पूरा परिवार तीन पीढिय़ों के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह सब बेताल गुफा में मौजूद बेताल भैरवी देवता बेताल की वजह से संभव हुआ है।
नोट- आपको यह जानकारी मान्यताओं और बुजुर्गों के कहे अनुसार उपलब्ध कराई गई है। इसके जरिए किसी को भी भ्रमित करना या अंधविश्वास फैलाना हमारा मकसद नहीं है।