नाहन, 12 मई : ये खबर, नशा कारोबारियों को जरूर पढ़नी चाहिए, क्योंकि विवेक की जगह उनका बेटा-बेटी भी हो सकते हैं। काली कमाई के चक्कर में दूसरों का घर तबाह करने वाले अपने लिए भी कांटे बीजते हैं। एक असहाय मां को पहले ही रोजी-रोटी के लाले थे, ऐसे में चार में से तीन बेटों को नशे की लत लग गई। यहां तक की एक बेटे को गंवाना भी पड़ा। नशे के ओवरडोज़ (drug overdose) से 23 साल का बेटा खो देने वाली एक मां की झिंझोड़ देने वाली दर्दनाक दास्तां सामने आई है। चार में से एक बेटे ने नशे की वजह से प्राण त्याग दिए तो दो बेटे भी नशे के आदी हैं।
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बीपीएल परिवार (BPL Family) से ताल्लुक रखने वाली अधेड़ उम्र की महिला कांता देवी के परिवार पर नशे का ऐसा कहर टूटा है कि वो बीमार पति के उपचार के लिए तो दर ब दर की ठोकरे खा ही रही है। साथ ही दूसरी तरफ चार नन्ही पोतियों की परवरिश की जिम्मेदारी भी उठा रही है। चार में से केवल एक ही बेटा है, जिसे नशे की लत ने नहीं जकड़ा है। कांता ये राहत महसूस करती है कि दो बेटे नशा तो करते हैं, लेकिन चिट्टे का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क ने महिला से सीधा सवाल पूछा कि वो शासन-प्रशासन से क्या चाहती है, इसके जवाब में वो बोली…मैं चाहती हूं, नशा कारोबारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, घर में एक व्यक्ति के नशा की आदत कई जिंदगियों पर असर डालती है। हिमाचल प्रदेश के नाहन के रानीताल के समीप की रहने वाली महिला ने कहा कि 7 फरवरी 2024 को बेटे विवेक को गवां दिया था, जिसकी चिट्टे की ओवरडोज़ की वजह से मौत हो गई। महिला ने कहा कि बेटों की नशे की लत का दंश वो सालों से झेल रही है। बेटों की कुरीति को छिपाने की कोशिश नहीं की। वो चाहती है, आने वाली पीढ़ियों को नशे की गर्क में जाने से रोका जाए।
घर के खर्च को लेकर कांता देवी ने कहा कि सबसे बड़ा बेटा 2-3 हजार रुपए दे देता है। इसके अलावा उसे खुद ही इधर-उधर काम करना पड़ता है। बीपीएल कार्ड से पति के इलाज में कुछ मदद मिल रही है। चार पोतियों के भविष्य को लेकर कई मर्तबा रूह कांप जाती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ऐसी इक्का-दुक्का माताएं होती हैं, जो अपने बच्चों के अवगुणों को नहीं छिपाती, ताकि समाज को राह दिखा सकें। आम तौर पर पेरेंट्स बच्चों की गलतियों को छिपाने की कोशिश करते हैं। नशे के ओवरडोज़ की वजह से खासी तादाद में युवाओं की हर साल मौत हो जाती है, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में चंद मामले ही दर्ज होते हैं। कांता देवी कहती हैं कि वो एक बीपीएल परिवार से संबंध रखती है, लिहाजा उन्हें योजनाओं का लाभ ठीक से मिले।
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शनिवार को नाहन में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति एवं ज्ञान-विज्ञान समिति समेत अन्य सामाजिक संगठनों के संयुक्त अधिवेशन में नशे खिलाफ मंथन किया गया। इस सम्मलेन के माध्यम से ही अधेड़ उम्र की महिला का दर्द छलक कर सामने आ गया था। अधिवेशन की चर्चा के आधार पर नशा कारोबारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग व नशा तस्करों की धर पकड़ करने को लेकर एक ज्ञापन भी प्रशासन को सौंपा गया।
बहरहाल, ये कहानी महज एक मां की है। लेकिन समाज में कितनी ही ऐसी माताएं हैं, जो अपने बच्चों को नशे के गर्त में जाते देख कर पल-पल दुखी होती होंगी। मां, जिसके आंचल में बच्चे पलते हैं, बड़े होते हैं, उस मां के लिए ये दर्द यकीनन असहनीय होता है।
आज मातृत्व दिवस पर अगर नशे के गर्त में डूबे बच्चे इस दलदल से बाहर निकलने प्रण लें तो यकीनन ये एक नई शुरुआत होगी।
@A1