वी कुमार/मंडी
अभिनेत्री कंगना रणौत ने अपनी मां आशा रणौत के सपने को पूरा करते हुए पैतृक गांव धबोई में कुलदेवी के मंदिर का निर्माण करवा दिया है। वीरवार को इस मंदिर की पूरे विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई। कंगना ने बताया कि उसकी मां आशा रणौत को वर्षों से स्वप्न में कन्या दिखाई देती थी। ब्राह्मणों के पास जाकर पता किया तो इसे कुलदेवी बताया गया। लेकिन परिवार वालों को अपनी कुलदेवी का पता नहीं था,क्योंकि करीब डेढ़ सौ साल पहले कंगना के पूर्वज राजस्थान से मंडी आकर बस गए थे।
मां ने बेटी को कुलदेवी का मंदिर ढूंढने का जिम्मा सौंपा। इसकी तलाश में कंगना राजस्थान के उदयपुर के जगत गांव पहुंची,जहां पर देवी अंबिका का 1200 साल पुराना मंदिर है। इसके बाद कंगना ने अपनी मां के सपने को पूरा करने का कार्य शुरू कर दिया और अपने पैतृक गांव धबोई में कुलदेवी का मंदिर बनाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी। देवी अंबिका के साथ भगवान शिव का मंदिर भी बनवाया गया है।
धबोई गांव में जो मंदिर बनवाया गया है उसे राजस्थान से ही बनाकर यहां लाया गया है। पूरा मंदिर रेड स्टोन में बना है,जोकि सिर्फ राजस्थान में ही मिलता है। यहां पर व्हाईट सीमेंट के साथ मंदिर के टुकड़ों को जोड़कर पूरा मंदिर तैयार किया गया है। खासियत यह है कि मंदिर निर्माण में न तो कोई कील लगी है और न ही हथौड़े का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी राजस्थान से आए पंडितों ने ही की। मंदिर का निर्माण काफी समय पहले शुरू हो गया था। पहले मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था, लेकिन उसमें वास्तुदोष बताकर तोड़ दिया गया और उसके स्थान पर नया मंदिर बनवाया गया। कंगना मंदिर निर्माण की जानकारी लेने के लिए कई बार गुपचुप तरीके से यहां आई, जिसकी कभी किसी को कोई भनक नहीं लगने दी गई।
अनुमान लगाया रहा है कि मंदिर निर्माण पर लाखों रूपए खर्च किए गए हैं। कंगना कहती है कि मंदिर का कोई मोल नहीं होता और यह आस्था का विषय है। कंगना के अनुसार वह नहीं चाहती थी कि मंदिर में किसी भी प्रकार की कोई कमी रह जाएए इसलिए जिस प्रकार से उचित रहा उसी प्रकार से मंदिर का निर्माण करवाया गया।
पारिवारिक सदस्यों के साथ कंगना इस मंदिर में देवी अंबिका की भव्य मूर्ति स्थापित की गई है और मूर्ति पर लाखों की कीमत वाले आभूषण भी सजाए गए हैं। वहीं मंदिर की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा गया है। मंदिर गांव के बीच में है और कोई भी इस मंदिर में आकर मां के दर्शन करके आशीवार्द प्राप्त कर सकता है। इस मौके पर कंगना के दादा ब्रह्मदास, पिता अमरदीप, माता आशा रणौत, भाई अक्षत, बहन रंगोली और मामा किशोर वर्मा सहित अन्य परिजन भी मौजूद रहे। मंदिर की प्रतिष्ठा पर आयोजित हवन पाठ खुद कंगना ने अपने हाथों से किया और भजन कीर्तनों पर जमकर झूमी।