जोगिंद्रनगर (ओमप्रकाश चौहान) : प्राचीन मंदिर बाबा बालकरूपी मंदिर में स्थापित नंदीगण महाराज की धातु की मूर्ति खंडित होने से लोगों की धार्मिक आस्थाओं को गहरा आघात लगा है और बाबा के भक्त इसे शुभ संकेत नहीं मान रहे। देखने को मूर्ति पीतल के रंग की लगती है लेकिन यह पुष्ट नहीं है कि यह वाकई ही पीतल की है या फिर अष्टधातु की।
मंदिर में खंडित हुई नंदीगण की मूर्तिशहर से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाबा बालकरूपी का हजारों वर्ष पुराना मंदिर न केवल स्थानीय बल्कि दूर-दूर के लोगों की प्रगाढ़ आस्था का केंद्र तो है बल्कि वह कुलदेव भी हैं। कुलदेव होने के नाते लोग यहां शादी-विवाह के बाद आशीर्वाद लेने आते हैं और बच्चों के मुंडन भी यहां करवाए जाते हैं। साल में दो बार यहां मेलों का आयोजन होता है।
यह मेला उन महीनों के दौरान हर शनिवार को होता है। वर्तमान आषाढ़ मास के पहले शनिवार यानि 20 जून से शनिवार के मेले भी शुरू हो रहे हैं। नंदीगण के प्रति भी लोगों की गहरी आस्था है। इस मूर्ति के कानों में लोग मन्नतें मांगते हैं और वह पूरी भी होती हैं। अब मूर्ति की गर्दन ही अलग हो गई तो लोग मन्नतें भी कैसे मांग पाएंगे। मूर्ति की अलग हो चुकी गर्दन को मंदिर के अंदर रख दिया गया है।
पुजारी विजय कुमार का कहना है कि मंदिर कमेटी को वह अरसे से बता रहे थे कि मूर्ति की गर्दन हिलती है जो कभी भी टूट सकती है मगर अब तो चार-पांच दिन पहले यह अलग ही हो गई है जिसकी सूचना कमेटी को दे दी गई है। मंदिर का कार्यभार देख रहे कानूनगो धर्मपाल का कहना है कि मामला उनके ध्यान में है इसे कल ही जुड़वा दिया जाएगा।