हरिपुरधार/चौपाल(एमबीएम न्यूज) : तकरीबन 11 हजार फीट की ऊंचाई पर चूड़धार चोटी पर आराध्य देव शिरगुल महाराज के प्राचीन मंदिर में पहुंच रहे श्रद्धालुओं को पानी के संकट से दो-चार होना पड़ रहा है। तकरीबन एक से दो हजार श्रद्धालु हर दिन चोटी पर पहुंच रहे हैं, लेकिन पानी की किल्लत होने के कारण न केवल गंदगी फैल रही है, बल्कि पेयजल संकट भी पैदा हो गया है।
चूड़धार चोटी पर श्रद्धालुओं की भीड़बेशक ही देश को खुले में शौचमुक्त करने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन चोटी पर इसकी पोल खुल रही है। खुले में ही श्रद्धालुओं को शौच जाने पर विवश होना पड़ रहा है। इसी बीच पानी न होने के कारण गंदगी अधिक फैल रही है। इससे चोटी पर पर्यावरण भी दूषित होने लगा है।
शिमला जिला की कुपवी उप तहसील के समीप तरहां से चोटी पर उठाऊ योजना के तहत पानी पहुंचाया गया था, लेकिन इस साल यात्रा शुरू होने से पहले इस योजना को बहाल नहीं किया जा सका है। मौजूदा में चोटी पर एक-दो प्राकृतिक स्त्रोत हैं। इसी पर रोजाना आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था का दारोमदार रहता है।
दूरभाष पर बातचीत में चोटी से ब्रह्मचारी स्वामी कमलानंद जी ने बताया कि प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन पानी न होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले शनिवार को चोटी पर लगभग तीन हजार श्रद्धालु पहुंचे थे, जिनके रहने की उचित व्यवस्था तो मौजूद है, लेकिन नियमित कलापों के लिए पानी उपलब्ध नहीं है।
शिरगुल महाराज के प्रति है लाखों की आस्था
शिरगुल जी महाराज के प्रति शिमला-सोलन व सिरमौर में अटूट आस्था है। करीब चार से पांच महीने चोटी पर बर्फबारी के कारण श्रद्धालुओं की आवाजाही बंद रहती है। यह अलग बात है कि चोटी पर 10 से 20 फुट बर्फबारी के बावजूद भी मंदिर में पूजा-अर्चना नियमित रहती है।
मध्य मई में यात्रा शुरू होने के बाद हर रोज चोटी पर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। चोटी पर पहुंचने के लिए नौहराधार से 16 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना होता है। जबकि चौपाल उपमंडल के सराहं से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी है। चोटी पर पहुंचने के लिए श्रद्धालु हरिपुरधार से कुपवी के बीच तराहं मार्ग का भी इस्तेमाल करते हैं।