मंडी (वी कुमार): अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान एक अलौलिक दृश्य देखने को मिला। जिला प्रशासन ने इस बार महोत्सव के दौरान देवनाटी कार्यक्रम का पहली बार आयोजन करवाया। आप भी देखिए किस प्रकार देवरथ झूमते हुए लोगों को भाव-विभोर कर गए।
मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव अपनी अनूठी देव परंपराओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यही कारण है कि हर वर्ष इस महोत्सव में कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है। इस बार इस महोत्सव में पहली मर्तबा देवनाटी का आयोजन किया गया। हालांकि जिला के ग्रामीण इलाकों में देवनाटी होती है लेकिन शिवरात्रि महोत्सव में पहली बार देवनाटी हुई, जिसमें जिला के प्रमुख देवी-देवताओं ने शिरकत की।
ऐतिहासिक पड्डल मैदान में आयोजित इस देवनाटी का दृश्य देखते ही बन रहा था। ढोल-नगाड़ों की थाप पर देवरथ झूमते और नाचते ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। लोग बड़ी संख्या में इस अलौलिक नजारे को देखने के लिए पड्डल मैदान पहुंचे और इसका पूरा आनंद उठाया। बता दें कि पहाड़ी नाटी में लोग एक दूसरे के साथ मिलकर नाचते हैं और देवनाटी में लोग देवी-देवताओं के रथ अपने कंधों पर उठाकर नाचते हैं।
देवी-देवताओं के साथ आए लोगों ने जिला प्रशासन की इस पहल का स्वागत किया और इस आयोजन में भाग लेकर खुद को भाग्यशाली बताया। वहीं लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि देव परंपरा से जुड़ी देवनाटी को महोत्सव के दौरान हरवर्ष करवाया जाए ताकि लोगों को देव संस्कृति के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिल सके।
पहली बार हुई देवनाटी में देव शुकदेव ऋषि थट्टा, देव लक्ष्मीनारायण बालीचौकी, देव चुंजवाला बालीचौकी, देव तुंगासी जंजैहली, देव छांजणू बालीचौकी, देव छमाहूं बालीचौकी, देव ढगांडू सनोर, देव शेषनाग टेपर, देव झाथीवीर रूंझ, देवी मासड़ की बूढ़ी बौछारण, देवी कांढी घटासनी, मैहन माता बदार, देवी सोना सिंहासन न्यूल माता बदार, देव बांस का मारकंडा बालीचौकी, देवी धारा नागण, देवी बीहण की घटासन, देवी निशू पराशरी और देवी बालू की जालपा मुख्य रूप से शामिल हुए।
सर्व देवता एवं कारदार संघ के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने देव संस्कृति को मिल रहे बढ़ावे के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन का आभार जताया। उन्होंने बताया कि सरकार और प्रशासन के सहयोग से आज देव समाज की प्राचीन परंपराओं का सही ढंग से निर्वहन हो रहा है।
ज्ञात रहे कि मंडी में आयोजित हो रहे अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में हरवर्ष 215 पंजीकृत देवी देवताओं को निमंत्रण भेजा जाता है जबकि इसके अलावा अन्य देवी-देवता भी इस महोत्सव में शिरकत करते हैं। देवी-देवताओं के इतने अधिक संख्या में एक स्थान पर दर्शन करने का सौभाग्य इसी देव महाकुंभ में मिलता है और हर वर्ष इसमें कुछ नया करके लोगों को देव संस्कृति से रूबरू करवाने का भी प्रयास होता है।