– मत्स्य पालकों को मुहैया करवाया जा रहा मछली का बीज और फीड
– सिक्किम और भूटान को भी भेजा जाता है ट्राउट का बीज
कुल्लू – हिमाचल के नदी-नालों में कल-कल बहता पानी जलविद्युत उत्पादन के कारण जहां प्रदेश के लिए सोना साबित हो रहा है, वहीं मत्स्य पालन विभाग इसी पानी में मछली पालन को बढ़ावा देकर नील क्रांति का सूत्रपात कर रहा है। नदी-नालों के अलावा विभाग किसानों-बागवानों को व्यक्तिगत रूप से मत्स्य पालन को एक व्यवसाय रूप में अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। विभाग की इस मुहिम को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है पतलीकूहल का मत्स्य फार्म। विशेषकर ठंडे क्षेत्रों में पाई जाने वाली रेनबो ट्राउट मछली के प्रजनन व उत्पादन में इस फार्म ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रदेश के मध्यम एवं ऊपरी इलाकों के मत्स्य पालकों व नदी-नालों को रेनबो ट्राउट का बीज उपलब्ध करवाने के साथ-साथ यह फार्म सिक्किम और भूटान को भी ट्राउट के अंडे भेज रहा है। इसके अलावा यह फार्म ठंडे क्षेत्रों में पाए जाने वाली मछली की अन्य नस्लों पर भी प्रयोग कर रहा है। इसी तरह के एक प्रयोग के तहत फार्म में कनाडा की मशहूर मछली आर्कटिक चार का प्रजनन भी किया गया है। हिमाचल प्रदेश के मध्यम एवं ऊपरी इलाकों में मछली पालन की चर्चा की जाए तो उसमें रेनबो ट्राउट मछली एक बड़े विकल्प के रूप में उभर रही है। इन इलाकों के किसान अब पारंपरिक खेती, बागवानी और पशुपालन के साथ-साथ मत्स्य पालन की ओर भी अग्रसर हो रहे हैं। इस दिशा में पतलीकूहल फार्म द्वारा किए गए प्रयास काफी सराहनीय हैं। मत्स्य पालन विभाग पतलीकूहल के फार्म के माध्यम से इन मत्स्य पालकों को तकनीकी जानकारी के साथ-साथ सब्सिडी पर ट्राउट का बीज और फीड उपलब्ध करवा रहा है। यही नहीं, मछली टैंक के निर्माण के लिए भी विभाग की ओर से सब्सिडी दी जाती है। विभाग के इन्हीं प्रयासों के परिणामस्वरूप कुल्लू जिला के लगभग पचास किसान रेनबो ट्राउट पालन को एक वैकल्पिक व्यवसाय के रूप में अपना चुके हैं। पतलीकूहल फार्म के प्रभारी एवं मत्स्य पालन विभाग के उपनिदेशक वी.के. पुरी ने बताया कि टैंक निर्माण के लिए सामान्य श्रेणी के मत्स्य पालकों को बीस प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पच्चीस प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। पुरी ने बताया कि पतलीकूहल फार्म में स्थापित अत्याधुनिक प्लांट में मछली की फीड भी तैयार की जाती है। उन्होंने बताया कि इस सीजन में लगभग सात लाख ट्राउट बीज और करीब 90 टन फीड तैयार करके मत्स्य पालकों को मुहैया करवाई गई। फार्म में लगभग बारह टन ट्राउट का उत्पादन किया गया। पौष्टिकता व अन्य गुणों से भरपूर ट्राउट मछली की बाजार में काफी मांग रहती है तथा इसे काफी अच्छे दाम मिलते हैं। पर्यटन नगरी मनाली के अलावा चंडीगढ़, दिल्ली और अन्य शहरों को भी पतलीकूहल फार्म से ट्राउट भेजी जा रही है। कुल्लू जिले के कई मत्स्य पालक भी इन शहरों को ट्राउट सप्लाई कर रहे हैं। पुरी ने बताया कि कुल्लू जिला में ही यह मछली 350 रूपये प्रति किलोग्राम बिक जाती है। इस प्रकार पतलीकूहल का फार्म ट्राउट पालन को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।