हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़) : कहते हैं कि जब पाड़व अज्ञातवास के लिए हिमालय पर चले थे, तब उन्होंने हमीरपुर में कुछ दिन बिताए थे। एक ऐसा ही स्थान जिला हमीरपुर में पड़ता है जिसका संबंध शिव व पांड़वों से सीधा-सीधा जुड़ा हुआ है। जिला हमीरपुर की तहसील नादौन के कस्बा धनेटा से दो किलोमीटर की दूरी एक ऐसा स्थान का नाम है राजनोण। इस स्थान का नाम राजनोण इसलिए रखा गया है, क्योंकि इस स्थान का संबंध राजाओं के विख्यात नाग से रहा होगा।
राजनोण मे एक प्राचीन धरोहर है। यहां पर हिमाचल प्रदेश का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जिसके की दो मुंह है। यहां पर पांड़वों द्वारा बनाया गया चक्रव्यूह भी है। जिसके बारे में हमे महाभारत में भी पढऩे को मिलता है। यह स्थान धनेटा से सोलहाणी धार पर स्थापित चामुखा के लिए बनाए गए मार्ग के दोनो और विभाजित किया गया है सोलहनी धार की तराई पर बने इस स्थान पर जहां मानसिक शांति मिलती है। वही पर इसके ऐतिहासिक महत्व की भी अभास होता है।
रास्ता पूर्व पश्चिम दिशा मे जाता है। रास्ते की उतर की और दो मुख वाला शिवलिग विशाला प्याला व नौण व नांग के प्रगाण मे स्थापित चक्रव्यूह है। यह सारा ढांचा पाषण से बनाया गया है। मान्यता है कि पांडव अज्ञात वास के समय इस स्थान पर आए और चक्रव्यूह का अध्ययन किया। टियाले के बिल्कुल पीछे एक पेड के नीचे दो खण्डो मे विभन्न शिवलिंग है ।
कहते है जब क्षेत्र में सूखे की संभावना काफी रहे तब गांव वासी यहां पर बने शिवलिंग पर पानी चढ़ाते है। पानी शिवलिंग से होता हुआ चक्रव्यू में प्रवेश करता है। और 24 घंटें के अंदर अंदर बारिश शुरू हो जाती है।
जमीन से ऊपर उठा हुआ है मंदिर का कुछ हिस्सा….
अगर इस मंदिर के ढ़ाचें को सही तरीके से देखा जाए तो देखने को मिलेगा कि मंदिर का कुछ हिस्सा जमीन से उठा हुआ है। इसका रहस्य आज तक पता नहीं चल पाया है। कहते है कि चक्रव्यूह की शक्ति से इस मंदिर का कुछ हिस्सा जमीन से ऊपर उठा हुआ है।