मंडी (वी कुमार): जो झील कभी जीवन देती थी आज वही झील मौत बांट रही है। सरकार और प्रशासन की अनदेखी के कारण आज रिवालसर झील पूरी तरह से डूबने की कगार पर पहुंच चुकी है। लापरवाहीयों ने झील को प्रदूषण का कुआं बना दिया और प्रशासन मूक दर्शक बनकर सारातमाशा देखता रहा।
कभी जिस झील के पानी को लोग पीना अपना सौभाग्य मानते थे आज उसी झील के पास से गुजरने वाले लोग मुहं पर कपड़ा रखकर जा रहे हैं। इसे सरकार और प्रशासन की नाकामी ही कहा जाएगा कि जीवन बांटने वाली झील आज मौत बांट रही है।
25 किलोमीटर दूर धार्मिक नगरी रिवालसर की प्राचीन और पवित्र झील आज पूरी तरह से दूषित हो चुकी है। एक वर्ष पहले एनजीटी ने सरकार को झील के मिटते अस्तित्व को लेकर चेताया था लेकिन सरकार नहीं जागी और नतीजा यह निकला कि झील में पनप रहे जीवन को मौत के आगोश में सोना पड़ा।
झील के तल पर इतनी अधिक मात्रा में गाद जमा हो चुकी है कि इसकी गहराई 15 फीट से भी कम रह गई है। झील से गाद निकालने के नाम पर सिर्फ सर्वे होते रहे और जो पैसा आया उसे खर्च करने का इंतजार ही होता रहा जबकि झील को बचाने की कवायद शुरू तक नहीं की गई। आसपास की गंदगी झील में जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा।
नतीजा यह निकला कि झील अपनी आखिरी सांसे गिन रही है। पानी में इतना अधिक प्रदूषण हो चुका है कि झील में आक्सीजन की मात्रा रही ही नहीं है, यही कारण है कि सैंकड़ों टन मछलियां मर चुकी हैं।
गर्मी के इस मौसम में जिस प्रकार से झील में प्रदूषण अपने चरम पर पहुंचा है उससे आने वाले समय में इलाके में गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा भी बन गया है। जानकारों का मानना है कि झील के सारे पानी को पहले बाहर निकालना होगा और जमा हो चुकी गाद को भी हटाना होगा तब कहीं जाकर झील से प्रदूषण को समाप्त किया जा सकता है।
प्रशासनिक स्तर पर झील को बचाने का कोई ठोस प्रयास नजर नहीं आ रहा है। पानी के सैंपल लिए गए हैं और उन्हें जांच के लिए भेजा गया है, लेकिन इसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। एडीसी हरिकेश मीणा ने माना कि झील को बचाने के प्रयास पहले से जारी थे लेकिन उससे पहले ही झील में अचानक यह घटनाक्रम हो गया। रिवालसर की प्राचीन झील में प्रदूषण फैलने का सिलसिला कोई आज-कल में शुरू नहीं हुआ है बल्कि यह सिलसिला बीते कई वर्षों से जारी था।
सबकुछ पता होने के बाद भी इस ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया जिस कारण आज झील की यह हालत हुई है। ऐसे में सवाल यह है कि जब किसी का अस्तित्व मिटने लग जाता है उसी वक्त उसे बचाने के प्रयास शुरू क्यों किए जाते हैं, पहले इस ओर कोई ध्यान क्यों नहीं दिया जाता।