नाहन (शैलेंद्र कालरा): यह खबर, 32 साल की नैंसी व 42 साल के जगत सिंह से जुड़ी है, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन एक ऐसा काम कर गए हैं, जो उन्हें लंबे समय तक संसार में जीवित रखेगा। दिवंगत नैंसी के पति अनुदीप शर्मा वहीं स्व. जगत सिंह की पत्नी यशवंती देवी की नेक सोच भी आज समाज में मिसाल बन गई है।
परिवारों का हौंसला व पीजीआई के चिकित्सकों की कोशिश ने दिवंगत नैंसी व स्व. जगत सिंह के अंगों से 11 लोगों को जीवनदान दे दिया है। दोनों ही परिवार अपनों की अकाल मृत्यु पर गमगीन हैं, लेकिन कुछ सुकून भी महसूस कर रहे हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि 11 को नैंसी व जगत के अंगों से नया जीवन मिला है। शायद यह देखकर नैंसी व जगत की आत्मा को शांति मिल रही होगी।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने दिवंगत नैंसी व जगत सिंह के परिवारों को ढूंढ निकाला, क्योंकि संसार को छोड़ते-छोड़ते पांवटा साहिब की नैंसी व पच्छाद की वासनी पंचायत के मलहोटी गांव के जगत सिंह एक ऐसी मिसाल छोड़ गए हैं, जिसे ओर लोगों तक पहुंचाना भी जरूरी समझा गया।
विशेष बातचीत में दिवंगत नैंसी के पति अनुदीप शर्मा ने कहा कि नैंसी हमेशा से ही नेत्रदान करने की बात करती थी। 24 दिन तक मैक्स अस्पताल में दाखिल रहने के बाद पीजीआई में शिफ्ट किया गया था। फिर परिवार को उस वक्त सदमा लगा, जब नैंसी का ब्रेन डैड होने की बात बताई गई। उन्होंने कहा कि नैंसी तो जा ही रही थी। तनिक भी उनके अंगदान करने का फैसला लेने में देरी नहीं की गई।
उधर पच्छाद की वासनी पंचायत के मलहोटी के रहने वाले 42 वर्षीय जगत सिंह 2 अप्रैल को पेड़ से गिरकर जख्मी हो गए थे। 5 अप्रैल की शाम को पीजीआई चंडीगढ़ में ब्रेन डैड घोषित कर दिया गया। पत्नी यशवंती देवी, 25 वर्षीय बेटे पंकज व 22 वर्षीय बेटे हरीश से जब अंगदान के बारे में पूछा गया तो परिवार से सलाह मशवरा करने के बाद हामी भर दी गई।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में जगत सिंह के बड़े बेटे पंकज ने कहा कि पिता इस दुनिया में नहीं रहे हैं। पूरा परिवार गमगीन हैं, लेकिन सुकून है कि उनके पिता के अंगदान से कईयों का जीवन बचा है।
यह भी देखिए संयोग..
पीजीआई के नवनियुक्त निदेशक डॉ. जगत सिंह का संबंध सिरमौर के राजगढ़ उपमंडल से है। इसी क्षेत्र से अंगदान दान करने वाले स्व. जगत सिंह का भी संबंध है। दूसरी पेशेंट दिवंगत नैंसी भी पांवटा साहिब के शमशेरपुर से ताल्लुक रखती थी। ओएलएक्स कंपनी में टैक्नोलॉजी निदेशक के पद पर तैनात नैंसी के पति अनुदीप शर्मा ने कहा कि आईसीयू में भी दोनों पेशेंटस के बैड साथ-साथ थे। दोनों ने ही अंगदान किए।
गौरतलब है कि नैंसी का 7 साल का बेटा है, साथ ही खुद भी एक इंफोसिस कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर तैनात थी।
ऐसे हुई दिल्ली व नोएडा पहुंचाने की व्यवस्था..
दिवंगत नैंसी व स्व. जगत सिंह के अंगों को किसे ट्रांसप्लांट किया जाएगा, यह तलाश करना भी मुश्किल था, लेकिन पीजीआई ने कर दिखाया। पीजीआई चंडीगढ़ से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया। पहले कॉरीडोर में सुबह साढ़े 6 बजे के आसपास हार्ट को एयरपोर्ट भेजा गया। इसके बाद साढ़े 8 व सवा 11 बजे के आसपास क्रमश: दूसरा व तीसरा कॉरीडोर बना। तीन विशेष विमानों के जरिए अंगों को दिल्ली व नोएडा भेज दिया गया।