रेणुका जी: पावन स्थली श्री रेणुका जी में परशुराम जयंती के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम आज देवपालकियों के विदाई के साथ सम्पन्न हो गया। चूकिं भगवान परशुराम का जन्म पावन स्थली रेणुका जी के समीप स्थित जामूकोटी चोटी पर हुआ था इसलिए इस स्थान पर परशुराम जयंती का अलग ही महत्व है। भगवान परशुराम के जन्मस्थल जामूकोटी से लाई गई देव पालकी को विराजमान करने के बाद विदाई दी गई। कटाहा-शीतला से लाई गई पालकी को भी विदाई दी गई। रेणुका विकास बोर्ड हर वर्ष तीन दिन तक परशुराम जयंती को मनाता है। 22 अप्रैल से शुरू हुए इस जयंति उत्सव का मंगलवार को समापन हो गया। उधर पुरानी देवठी में विराजमान भगवान परशुराम की चार पहर की विधिवत पूजा की गई। सुबह उन्हें त्रिवेणी में स्नान करवाकर भक्तों के दर्शनों के लिए रखा गया। परशुराम जंयती को श्रद्धालुओं ने सोमवार व मंगलवार को मनाया पर रेणुका जी में स्थित प्राचीन परशुराम मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु शुभ कार्य व मन्नतेें मांगते नजर आए। यहां तक कि आज के दिन परशुराम मन्दिर के परिसर में एक शादी भी हुई। जयंति की दूसरी भजन संध्या में कलाकार प्रेम चंद के भजनो ने श्रद्धालुओं को खूब नचाया। उन्होनें प्राचीनकाल महाभारती की वीरगाथाएं सुनाकर सबको भावुक कर दिया। जयपाल की प्रस्तुतियों ने भी सबका मन मोह लिया।
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