चम्बा (एमबीएम न्यूज़) : जनजातीय क्षेत्र भरमौर के रुणुहकोठी पंचायत के हुक्म चंद लकड़ी को अपने हाथों से ऐसा आकार देते हैं कि देखने वाले उनकी इस कला के दीवाने हो जाते हैं। हुक्म चंद को शिल्पकला की यह शिक्षा अपने पूर्वजों से मिली है। भरमौर जैसे कबायली क्षेत्र, जहां तक दूसरे राज्यों के लोगों की पहुंच भी बहुत कम है जिस कारण इनके बनाए सामान को ग्राहक तक नहीं मिल पाते, वहीं वस्तुओं के निर्माण के लिए पर्याप्त लकड़ी भी नहीं मिल पाती।
हुक्म चंद ने कहा कि उनके पूर्वज पीढ़ी दर पीढ़ी यह कार्य करते रहे हैं, लेकिन यह कला व्यवसाय का रूप नहीं ले पाई। काष्टशिल्प का कार्य तो वे बचपन में ही सीख गये थे, लेकिन अब वे इसे व्यवसायिक रूप से अपनाना चाहते हैं। वे क्षेत्र के युवाओं को भी इस कला में जोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वे शिमला स्थित गेयटी थियेटर, चम्बा के भूरि सिंह संग्रहालय में भी अपने हाथों से बनाई वस्तुओं की प्रदर्शनी लगा चुके हैं।
वहीं वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने भी अपने भरमौर दौरे के दौरान उनकी कलाकृतियों की खूबसूरती की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा कि उनके कार्य को देखने के लिए मुंबई से एक टीम उनके घर आना चाहती थी लेकिन रास्ते खराब होने के कारण वे उनके कार्य को नहीं देख पाए। उन्होंने बताया कि सरकार अगर हस्तशिल्प को बढ़ावावा देती है तो इससे बेरोजगारी तो कम होगी ही क्षेत्र को हस्तशिल्प के लिए भी जाना जाएगा ।