-कुछ बाहरी तत्वों के निजी स्वार्थ के चलते मजदूर किए जा रहे गुमराह : जैन
शिमला: जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स लिमिटेड (जेपी कंपनी) के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेन जैन ने करचम वांगटू एवं बास्पा-2 जल विद्युत परियोजनाओं के कर्मचारियों द्वारा जारी हड़ताल पर कंपनी का पक्ष रखते हुए विभिन्न तथ्य प्रस्तुत किए है। मीडिया को जारी बयान में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेन जैन ने कहा कि कुछ बाहरी तत्वों के निजी स्वार्थो के चलते भड़कावे में आकर कंपनी के मजदूर गुमराह किए गए। उन्होंने कहा कि कंपनी के कर्मचारियों के एक धड़े द्वारा अवैधानिक व प्रतिबंधित करार दिए जाने के बावजूद हड़ताल को जारी रखा गया है। कर्मचारियों को झूठे वायदे व भरोसा देकर सीटू, प्रदेश के किन्नौर क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के लिए उन्हें भड़काने व गुमराह करने पर तुली हुई है। दुर्भाग्यवश हड़ताली कर्मचारियों को इस बात का एहसास नहीं हो पा रहा है कि सीटू द्वारा अपने निहित स्वार्थ के चलते उन्हें दिग्भ्रमित किया जा रहा है।
जैन ने कहा कि जब से सीटू परिदृष्य में आई है, हिंसक घटनाओं, गुंडागर्दी और अनगिनत अवमाननाओं की घटनाएं हो रही है। इससे कानून और व्यवस्था संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं। परिणामस्वरूप राज्य प्रशासन द्वारा धारा 144 लागू कर दी गई है। जैन ने कहा कि ये जल विद्युत परियोजनाएं राष्ट्रीय महत्व की है और न केवल हिमाचल प्रदेश अपितु राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब को विद्युत आपूर्ति कर रही थी। विद्युत उत्पादन में कोई भी विघन न केवल राज्य के लिए बल्कि राजकोष के लिए भी हानि होगी। कर्मचारियों की युक्ति संगत और विधिसम्मत सभी मांगों को पूरा करने के लिए कंपनी पहले से ही सहमति दे चुकी है, और राज्य सरकार भी इन परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन जारी रखे जाने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान कर रही है। विशेषकर ऐसे समय में जबकि जल विद्युत संयंत्रों से अधिकतम उत्पादन की अवधि गर्मी के मौसम के आगमन के साथ शुरू होने ही वाली है।
जैन ने कहा कि भाभानगर जल विद्युत परियोजना में हुई दुखद दुर्घटना के कारण राज्य के ग्रिड कोे 120 मेगावाट विद्युत उर्जा की हानि हुई है। इसीलिए यह परम आवश्यक हो जाता है कि इन संयंत्रों से उत्पादन जारी रहे। सीटू की भूमिका पर उन्होेंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपने राजनीतिक फायदों के लिए वे कर्मचारियों को बेवकूफ बना रहे है और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कर्मचारी वास्तविक तथ्यों से अवगत न होने पाए। उन्हांेने बताया कि सीटू के नेताओं से उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उनके द्वारा की जा रही हिंसक घटनाओं को किसी भी तरह बंद करने की अपील की थी।
उन्होंने कहा कि नरकंदा के पास वार्षिक लेखा बंदी से संबंधित दस्तावेजों को लेकर कंपनी के मुख्यालय जा रहे वाहन से झड़प कर, सीटू से संबंधित कथित लोगों द्वारा, उसमें सवार उसके चालक और अकाउंट्स ऑफिसर को बुरी तरह पीटे जाने की घटना के बाद कंपनी द्वारा 7 अप्रैल को कुमारसेन पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
जैन ने कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देते हुए उम्मीद करते हैं कि हड़ताली कर्मचारी जल्द ही सच्चाई से अवगत हो जाएंगे और शीघ्र ही काम पर लौट आएंगे। उन्होंनें कहा कि समूह के संस्थापक द्वारा कंपनी के कर्जे को कम करने की दिशा में, कुछ परिसंपत्तियों को बेचने के लिए उठाए गए कदम अंततः परियोजनाओं के हित में ही है। उन्होंने आगे कहा कि लोग यह न सोचें कि कंपनी द्वारा परियोजनाओं को बेचे जाने का तर्क देकर, वह अनुचित मांगें उठा सकते है। उन्होंने आगे बताया कि कंपनी हिमाचल प्रदेश में पिछले 30 वर्षों से कार्यरत है और आगे भविष्य में भी प्रदेश के विकास के लिए कार्य करना जारी रखेगी।