नाहन (रेणु कश्यप) : सफेद रंग की मादा, ब्राऊन कलर का नर। टाइगर के इस जोड़े की दहाड़ सुनने को श्री रेणुका जी बेकरार है। इसके लिए पलकें बिछी हुई हैं।
सांकेतिक चित्रसब कुछ ओके है, अब केवल 21 मार्च को सीजेडए के डॉ. बीके गुप्ता को आकर टाइगर जोड़े के आशियाने के डिजाईन को मंजूरी देनी है। इसके बाद वन्यप्राणी विभाग धड़ल्ले से आशियाने का निर्माण शुरू कर देगा। लागत 43 लाख रुपए आएगी, जिसके लिए बकायदा बजट भी मंजूर है।
दिल्ली जू से टाइगर के जोड़े को लाने की तमाम औपचारिकताएं पूरी कर दी गई हैं। हामी भी भर दी गई है। जानकारों की मानें तो आशियाने के निर्माण में कम से कम तीन महीने का वक्त लगेगा। अगर टाइगर का जोड़ा आ जाता है तो निश्चित तौर पर हिमाचल में ऐसा पहली बार ही होगा। यह भी स्वाभाविक है कि टाइगर के जोड़े के आने से स्थानीय विधायक व मुख्य संसदीय सचिव विनय कुमार को राजनीतिक लाभ भी मिलेगा।
80 के दशक में श्री रेणुका जी में लॉयन सफारी का वजूद सामने आया था। तमाम शेरों की मौत के बाद सफारी वीरान पड़ी हुई है। हाल ही में एक तेंदुए व भालू की भी मौत हो गई थी। टाइगर की ट्रांसपोर्टेशन को लेकर सीजेडए ने हामी भर दी थी, लेकिन नेशनल टाइगर कंजर्वेशन का पेंच अड़ा था। यह अड़चन भी अब दूर हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक टाइगर के पिंजरे का डिजाईन सीजेडए को भेज दिया था। अब इसकी मौके पर तस्दीक किया जाना शेष है। इस आशियाने का निर्माण लगभग दो हजार वर्ग मीटर भू-खंड पर किया जा रहा है।
यह सही है, 21 मार्च को सीजेडए के प्रतिनिधि पहुंचकर डिजाईन का मौके पर जायजा लेंगे। सैद्धांतिक तौर पर डिजाईन को मंजूरी मिली है। सीजेडए की हामी के बाद एन्क्लोजर का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। जिसमें कम से कम तीन महीने का वक्त लगेगा। इसके लिए बजट भी उपलब्ध है। – एसके गुप्ता, डीएफओ, वाइल्ड लाइफ।