धर्मशाला (एमबीएम न्यूज) : कांगड़ा घाटी के गोपालपुर जू से फरार तीन तेंदुए हिरासत में आ गए हैं। 14-15 मार्च की रात फरार तेंदुओं ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी थी। एक को फरारी के बाद बुधवार देर दोपहर पकडऩे में सफलता मिल गई थी, क्योंकि घायल था। उस पर भी ट्राइंकोलाइजर गन का इस्तेमाल करना पड़ा था। दूसरी सफलता आधी रात के बाद मिल गई।
साइटिंग होने पर बेहद जोखिमपूर्ण ऑपरेशन में ट्रांइकोलाइजर गन से डॉट चलाया गया। इस पर तेंदुआ भडक़ गया। एक कर्मी को मामूली चोट भी आई। दूसरे प्रयास में तेंदुए को बेहोश करने में सफलता मिल गई। इसके बाद उसे जू में पहुंचा दिया गया। तीसरे तेंदुए को धोखे से पिंजरे तक पहुंचाने में सफलता अर्जित हुई। दरअसल विभाग को तेंदुए के नाले में छिपे होने की आशंका हुई। इसके बाद नाले से जू तक मांस के टुकड़े बिछा दिए गए। लालच में तेंदुआ वापस पहुंच गया।
करीब साढ़े 12 बजे के आसपास तीनों तेंदुओं को पकडऩे का ऑपरेशन पूरा हुआ। तीन तेंदुओं की एक साथ फरारी ने कई सवाल भी खड़े किए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोटी तार को किसने काटा। यहां तक की पिंजरे के बाहर मांस के टुकड़े भी फैंके गए थे, जो फरारी के पीछे बड़े षडयंत्र की आशंका जता रहा है। मतलब साफ है कि पहले अज्ञात लोगों ने लोहे की मोटी तारों को काटा। इसके बाद इसी नीयत से कि तेंदुए भाग जाएं, समीप ही मांस के टुकड़े फैंक दिए।
जादू-टोने के लिए भगाए गए खूंखार तेंदुए!
करीब चार साल पहले शरारती तत्वों ने इसी तरह की वारदात को अंजाम दिया था। तब यह बात कही गई थी कि तेंदुओं को आजाद करने पर धन प्राप्ति हो सकती है। हालांकि अब इस घटना को लेकर सीधे तौर पर कोई पुष्टि करने को तैयार नहीं है, लेकिन लोग ताजा घटना को भी पहले घटनाक्रम से जोडक़र भी देख रहे हैं। लोहे की मोटी तारों से तेंदुओं का बाहर आना नामुमकिन ही है।
यह भी बताया जा रहा है कि चार साल पहले चार छात्रों ने तांत्रिक के बहकावे में आकर तेंदुओं की जाली को काटा था। इसी वारदात के आधार पर यह माना जा रहा है कि जादू-टोने को लेकर तेंदुओं को भगाने की साजिश रची गई।
तीनों तेंदुओं को रेस्क्यू कर लिया गया है। यह सही है, एक कर्मी को मामूली चोट भी आई। पुलिस ने पूरा सहयोग दिया। इस कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीम का मनोबल भी बढ़ा। यह तय है कि जानबूझ कर जाली को काटा गया, ताकि तेंदुए भाग सकें। पिंजरे के नजदीक ही मांस के टुकड़े भी मिले। यानि जाली को काटने वाले चाहते थे कि मांस की गंध से तेंदुएं बाहर निकल आएं।
डॉ. नितिन पाटिल, डीएफओ वाइल्ड लाइफ, हमीरपुर।