मंडी (वी.कुमार) : इन दिनों छोटी काशी में एक अनूठा देव समागम चल रहा है।इस देव समागम में 200 से भी अधिक देवी-देवता शिरकत कर रहे हैं और इस देव समागम का नाम है अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव।
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है और इस देवभूमि के केंद्र में छोटी काशी बसी है । छोटी काशी के नाम से विख्यात शहर में हर वर्ष शिवरात्रि के उपलक्ष्य पर अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जाता है। अधिकारिक तौर पर तो इसे महोत्सव कहा जाता है लेकिन एक तरह से यह देवी-देवताओं का महाकुंभ होता है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव आयोजन समिति के पास 215 पंजीकृत देवी देवता हैं जिसमें से इस बार 187 पंजीकृत देवी-देवता इस महोत्सव में शिरकत करने आए हुए हैं जबकि बाकी वह देवी-देवता हैं जिनका पंजीकरण तो नहीं हुआ लेकिन महोत्सव में आना वह नहीं भूलते, ताकि उनके भक्तों को उनके दर्शनों का सौभाग्य मिल सके।
इस देव महाकुंभ के सात दिनों के दौरान रोजाना सभी देवी-देवता डिग्री कालेज के परिसर में बैठते हैं। सुबह होते ही देवी-देवताओं के साथ आए देवलु देवरथों के साथ डिग्री कालेज के परिसर पहुंच जाते हैं। सबसे पहले शुरू होती है देव मिलन की रस्म। आसपास के इलाकों से आए देवी-देवताओं के रथ झूमते हुए एक-दूसरे से मिलते हैं। यह अलौकिक नजारा कम ही देखने को मिलता है। इसके बाद देवरथों को आसन पर बैठा दिया जाता है और फिर भक्त यहां पर आकर इन सभी के दर्शन करते हैं। भक्त धूप जलाकर अपने लिए मन्नतें मांगते हैं। देव माहूंनाग के पुजारी डिकपाल शास्त्री ने बताया कि जिनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं वह अगले वर्ष फिर से देवी-देवताओं के दर्शनों के लिए आते हैं जबकि कुछ इस बार मनोकामना मांगकर अगले वर्ष फिर से आने का संकल्प लेते हैं।
भक्तों को वर्ष भर इस महाकुंभ का इंतजार रहता है क्योंकि 200 से भी अधिक देवी-देवताओं के मंदिरों तक पहुंचना और वहां पर जाकर उनका आशीवार्द लेना किसी के लिए भी संभव नहीं। ऐसा करने पर एक ही भक्त को लाखों रूपए खर्च करने पड़ सकते हैं जबकि शिवरात्रि महोत्सव ही एक ऐसा पर्व होता है जब लोगों को इन सभी के दर्शन एक ही स्थान पर हो जाते हैं। प्रदेश के अधिकतर लोग ऐसे हैं जो इस महोत्सव इसी कारण आते हैं क्योंकि उन्हें इतने अधिक देवी-देवताओं के दर्शनों का मौका मिलता है।
शिवरात्रि महोत्सव में आने वाले देवी-देवताओं का वर्णन रामायण और महाभारत में मिलता है और अधिकतर देवी-देवता ऐसे दुर्गम स्थानों पर रहते हैं जहां तक पहुंच पाना हर किसी के लिए संभव नहीं। जितने भी देवी-देवता हैं उन सभी की अपनी-अपनी मान्यताएं और धारणाएं हैं। भक्त बड़ी विनम्रता से इनके आगे नतमस्तक होकर अपने लिए सुख समृद्धि की कामना करते हैं, क्योंकि उन्हें ऐसा सौभाग्य वर्ष में सिर्फ एक बार ही प्राप्त हो पाता है।