नाहन (एमबीएम न्यूूज): सिरमौर राजपूत सभा के प्रधान दिनेश चौधरी ने प्रदेश सचिवालय में ट्रांसफर माफिया से जुड़े सनसनीखेज खुलासे किए है। बोले, इसे अंतिम नतीजे तक पहुंचा कर दम लूंगा। पत्रकारों से बातचीत करते चौधरी ने कहा की इस जंग में डेढ़ करोड़ व 15 लाख के मानहानि के नोटिस है, लेकिन इसे कतई भी नहीं डरते, क्योंकि पुख्ता सबूत मौजूद हैं।
चौधरी का कहना है कि संजीव सैनी के बैंक खाता संख्या 4588000400003305 की जांच में सच्चाई सामने आ सकती है। चौधरी का आरोप है कि सैनी बंधुओं ने ट्रांसफर माफिया बनकर अथाह संपत्ति कमाई है। उनका कहना है कि 18 जुलाई 2016 को पांवटा साहिब में मुख्यमंत्री को इससे अवगत करवाया गया था। लेकिन अफसरशाही ने मुख्यमंत्री को भी गुमराह कर जांच को दबा दिया है।
इसके बाद 7 दिसंबर 2016 को शिमला में पत्रकारवार्ता के माध्यम से भी मामले को उठाने की कोशिश की गई। उनका कहना है कि जांच को यह कहकर दबाया जा रहा है कि भ्रष्ट व्यक्ति शिकायत कर रहा है। लिहाजा वह पहले अपनी जांच करवाने के लिए भी तैयार हैं। सरकार से रिटायरमेंट पर मिली तमाम सुविधाएं सरेंडर करने को तैयार हैं, बशर्ते इस मामले की जांच निष्पक्षता से हो।
चौधरी का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ गोपनीय शिकायत पर भी कार्रवाई होती है, लेकिन यहां तो शिकायतकर्ता भी सामने है। साथ ही आरोपी भी तो सरकार क्यों हिचकिचा रही है।
कैसे चल रहा है ट्रांसफर रैकेट
आरोप हैं, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव के निजी सहायक संजीव सैनी इसके सूत्रधार हैं। नाहन में तैनात अधीक्षक ग्रेड-2 राकेश सैनी इसमें ट्रांसफर के बदले 30 हजार रुपए लेेते हैं। इसमें प्रारंभिक शिक्षा विभाग में तैनात ग्रेड-2 के ही अधीक्षक देवेंद्र चौहान की भी मिलीभगत रहती है। इसके तहत कंप्यूटर में फर्जी तरीके से मुख्यमंत्री की एप्रूवल भी दिखाई जाती है। इन तबादलों में जन प्रतिनिधियों का अनुमोदन नहीं होता है। ट्रांसफर का आवेदन लिया जाता है, जिसे सीएम की डाक में दर्शाया जाता है। इस पर छोटे-छोटे अक्षरों में नंबर लिखे जाते हैं।
आरोप हैं, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव के निजी सहायक संजीव सैनी इसके सूत्रधार हैं। नाहन में तैनात अधीक्षक ग्रेड-2 राकेश सैनी इसमें ट्रांसफर के बदले 30 हजार रुपए लेेते हैं। इसमें प्रारंभिक शिक्षा विभाग में तैनात ग्रेड-2 के ही अधीक्षक देवेंद्र चौहान की भी मिलीभगत रहती है। इसके तहत कंप्यूटर में फर्जी तरीके से मुख्यमंत्री की एप्रूवल भी दिखाई जाती है। इन तबादलों में जन प्रतिनिधियों का अनुमोदन नहीं होता है। ट्रांसफर का आवेदन लिया जाता है, जिसे सीएम की डाक में दर्शाया जाता है। इस पर छोटे-छोटे अक्षरों में नंबर लिखे जाते हैं।
खास आरोप यह है कि ट्रांसफर के व्यक्तिगत आवेदन को संजीव सैनी ही डील करते हैं। इसके बाद देवेंद्र चौहान की भूमिका शुरू होती है, जो अपने सरकारी कंप्यूटर में डाटा अपडेट करते हैं। आरोप हैं कि एक से डेढ़ साल के भीतर 200 तबादले नाहन क्षेत्र में हुए हैं।
नहीं तो….
बिजली बोर्ड में कार्यरत रहने के दौरान सबसे पहले अपने प्रबंधन से भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायत करने की अनुमति मांगी। नहीं दी गई। रिटायर होने के बाद मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाया। विजीलेंस को भी पत्र लिखा गया। कोई परिणाम नहीं निकला तो पत्रकारवार्ता में खुलासा किया। इसके बाद मानहानि के दावों को लेकर दो नोटिस मिल चुके हैं। चौधरी का कहना है कि अगर दावा है तो सारे सबूत लेकर न्यायालय में हाजिर हो जाऊंगा। उनका कहना है कि न्याय न मिलने पर न्यायपालिका का सहारा लेने का विकल्प है, क्योंकि इस तरह के ट्रांसफर उद्योग से आम कर्मचारी प्रताडऩा का सामना कर रहे हैं।
बिजली बोर्ड में कार्यरत रहने के दौरान सबसे पहले अपने प्रबंधन से भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायत करने की अनुमति मांगी। नहीं दी गई। रिटायर होने के बाद मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाया। विजीलेंस को भी पत्र लिखा गया। कोई परिणाम नहीं निकला तो पत्रकारवार्ता में खुलासा किया। इसके बाद मानहानि के दावों को लेकर दो नोटिस मिल चुके हैं। चौधरी का कहना है कि अगर दावा है तो सारे सबूत लेकर न्यायालय में हाजिर हो जाऊंगा। उनका कहना है कि न्याय न मिलने पर न्यायपालिका का सहारा लेने का विकल्प है, क्योंकि इस तरह के ट्रांसफर उद्योग से आम कर्मचारी प्रताडऩा का सामना कर रहे हैं।
इन तबादलों पर संशय….