रिकांगपिओ (जीता सिंह नेगी) : प्रदेश का जनजातीय किन्नौर जिला में रविवार को बर्फबारी की आस बंधी थी, लेकिन आशा के अनुरूप बर्फबारी नहीं हुई। हालांकि रविवार प्रात: से ही बर्फ बारी तो शुरू हुई, मगर कुछ समय बाद ही मौसम साफ हो गया। मौसम विभाग व इंटरनेट के द्वारा लोग अधिक बर्फबारी के संकेत से खुश थे। मगर कम बर्फबारी से बागवानों-किसानों को निराशा हाथ लगी।
अब तक जिला में इतनी बर्फबारी नहीं हुई है, जितनी पूर्व के वर्षो में होती रही है। जिस तरह गत दिनों शिमला, नारकंडा क्षेत्रों में हुई थी, उतनी बर्फबारी अब तक नहीं हुई है। गत वर्ष भी जिला में बर्फबारी नहीं होने से किसानों व बागवानों को खासा-निराशा हाथ लगी थी, जिस कारण सेब के पैदावार में भी इस का खासा प्रभाव पड़ा था।
जानकारों की माने तो सर्दी के दिसंबर व जनवरी माह में बर्फबारी पडऩे से सेब के लिए उपयुक्त चीलिंग प्राप्त होती है, जिससे आने वाले समय मे सेब के पैदावार के लिए आवश्यक है, वहीं सिंचाई के लिए भी उपयुक्त पानी मिल जाता है। गत वर्ष बर्फबारी नहीं होने से जिला के शुष्क क्षेत्र पूह उपमंडल के कई क्षेत्रों में सिंचाई व पेयजल के लिए लोगों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
बताते हैं कि गत वर्ष पूह क्षेत्र में तो किसान व बागवान सेब के पौधे के लिए टैंकरों से सिचाई की गई थी। हालांकि इस बार बर्फबारी तो हुई है, लेकिन अब तक इतनी बर्फबारी नहीं हुई, जितनी आवश्यकता थी। अब तक उपरी क्षेत्र में भी बर्फबारी कम ही हुई है। रविवार को कुछ समय के लिए जिन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई, वहां भी एक-दो इंच ही बर्फ दर्ज की गई मगर थोड़ी देर बाद ही मौसम साफ होते ही तेज रफ्तार से बर्फ पिघल गई।
हालांकि रविवार को भी किन्नर कैलाश भी पूरी तरह सफेद चादर में ढक गया। जानकारों की मानें तो यह बर्फ बारी किसान व बागवानी के लिए लाभदायक तो है मगर यह नाकाफी है। जिला के किसान व बागवान बर्फबारी की आस लंबे अरसे से लगाए बैठे थे। बर्फबारी की आस लगाए बैठे बागवानों व किसानों की आस टूट गई। बहरहाल अब आने वाले दिनों में मौसम विभाग के एलर्ट पर लोगो की आस बंधी है।