हमीरपुर(एमबीएम न्यूज): हिमाचली जड़ी-बूटियों से अब स्क्वाश रूपी वाइन बनेगी। यह स्क्वाश शरीर के लिए नुकसानदेय कम बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक रहेगी। अनुसधान केंद्र नेरी ने इसमें आगे आते हुए पुनर्नवा औषधीय पौधे से स्क्वाश बनाने का प्लान तैयार किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्क्वाश शरीर में होने वाली खून की कमी को पूर्ण करेगी। इस स्क्वाश में दो फीसदी एल्कोहोल व 90 फीसदी आर्युवैदिक दवाई की मात्रा रहेगी। बताया जा रहा है कि नेरी अनुंशंघान केंद्र नेरी के साथ अनुशंधान केंद्र नौणी के विशेषज्ञ काम कर रहे है। लिहाजा जड़ी बूटी की इस स्क्वाश से लोग अनीमिया मुक्त हो जाएंगे। प्रदेश में अब किसी को भी खून की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा।
हमीरपुर स्थित नेरी हर्बल गार्डन में हुए शोध में यह पता चला है कि पुनर्नवा हर्बल पौधे में शरीर में होने वाली खून की कमी को पूरा कर सकता है। शरीर में खून की कमी को अब औषधीय पौधा पुनर्नवा दूर करेगा। हर्बल गार्डन नेरी में इस प्लांट को बड़े स्तर पर उगा कर इसे घरों में लगाने के लिए लोगों को उपलब्ध करवाया जाएगा।
यहा बता दे कि हर्बल गार्डन नेरी व नौणी विश्वविद्यायल ने मिलकर इस प्रोडेक्ट को तैयार किया है। इस हर्बल पौधे पर हुए शोध के मुताबिक इसे उगाने के लिए लोअर हिमाचल की जलवायु काफी अच्छी है। नेरी हर्बल गार्डन में इस पौधे को काफी संख्या में उगाकर इसकी स्क्वाश व टेब्लेट में बाजार में उतारी जाएगी।
क्या है पुनर्नवा हर्बल पौधा…
पुनर्नवा की तीन जातियां होती हैं। सफेद फूल वाली को विषखपरा, लाल फूल वाली को साठी और नीली फूल वाली को पुनर्नवा कहते हैं। सफेद पुनर्नवा की जड़ को पीस घी में मिलाकर आंख में लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंखों में अगर खुजली हो रही हो तो इसे लगाने से फायदा होता है। रतौंधी के मरीज अगर गाय के गोबर के रस में पीपल के साथ उबालकर आंख में लगायें तो रतौंधी में लाभ होता है। लाल पुनर्नवा यानी साठी कड़वी और ठंडी होती है जो कि सांस की समस्याएं कफ , पित्त और खून के विकार को समाप्त करती है।
कम पानी में भी कामयाब…..
पुनर्नवा बहुवर्षीय औषधीय पौधा है। ये बेल की तरह जमीन और दीवार पर फैलता है। जुलाई माह में इसे लगाया जाता है। इस पर गुलाबी रंग के छोटे,छोटे फूल लगते हैं। इसकी जड़ें दवाई बनाने के काम आती हैं। इन्हें सुखाना पड़ता है। पौधा बंजर भूमि में और बिना पानी के भी पनप जाता है। आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाली फार्मेसियों में अच्छी मांग।
किन रोगों में फायदेमंद…..
पुनर्नवा का प्रयोग खून की कमी पूरी करने वाली दवाइयां बनाने में तो होता ही है। साथ ही यह किडनी और यूरीनरी समस्याओं को भी ठीक करने में लाभकारी है। हर्बल गार्डन नेरी के इंचार्ज मदन लाल ने बताया कि पुर्ननवा औषधीय गुणों से भरपूर है। अनीमिया और यूरीनरी बीमारियों के लिए यह रामबाण है। गार्डन नर्सरी में इसे बड़े पैमाने पर उगा कर लोगों को दिया जाएगा।
नौणी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों व हर्बल गार्डन नेरी ने तैयार की वैज्ञानिक विधि…
जनजातीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली चूली यजंगली खुरमानी से क्वालिटी स्क्वाश तैयार होगी। वैज्ञानिक विधि से तैयार होने वाली यह स्क्वाश जहां स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होगी। वहीं इससे लोगों की आर्थिक हालत भी सुदृढ़ होगी।
टेब्लेट में भी होगी उपलब्ध…..
पुनर्नवा मंडूर एक प्रकार की टेब्लेट है। जिसमें मुख्य घटक शोधित मंडूर होता है। नेरी में इस पौधे की छोटी छोटी टेब्लेट बनाकर लोगों को उपलब्ध करवाई जाएगी। यहां बता दे की मंडूर एक तरह का लोहा है पर यह लौह भस्म से अधिक सौम्य है। यह शरीर में ज्यादा अच्छे से अवशोषित होता है और पचने में भी हल्का है। यह टेब्लेंट एनीमिया को दूर करेगी। इस टेब्लेट में मंडूर के अतिरिक्त गोमूत्र, त्रिफला, त्रिकुट, विंडग, हरदी, दारूहल्दी, मोथा आदि घटक है। जो की रक्त को साफ व शरीर में होने वाली खून की कमी को दूर करेगे।
लिक्विड़ के रूप में दिया जाएगा मरिजों को…..
जिला आर्युवैदिक अधिकारी डा.विजय कुमार ने बताया कि इस पौधे को पीसकर स्क्वाश मीड व वरमूथ बनाने की वैज्ञानिक विधि तैयार की है। इसमें 10 फीसदी एल्कोहल, 90 फीसदी फ्रुट जूस के अलावा शुगर, मिनरल धातु व विटामिन सी होने से यह पौष्टिक होगी।