हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़) : पति की जान बचाने के लिए अपने शरीर का एक अंग किडनी के रूप में दे चुकने के बावजूद भी आगामी ईलाज के लिए आर्थिक सहायता हेतू उसकी नजरें दानी सज्जनों से आस लगाए बैठी हैं।
दलित वर्ग से संबंधित गरीबी से जूझ रही वीना देवी के पति सुभाष चंद निवासी वार्ड न. 3 देहरा जिला कांगड़ा के दोनों गुर्दे पूरी तरह खराब हो गए थे। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और अपना एक गुर्दा देने के बाद सफल प्रत्यारोपण करवा कर पति की जान तो बचा ली लेकिन अब हर माह इस पर खर्च होने वाली 25 हजार रूपये की राशि इस परिवार के वश के बाहर की बात है। इसके अतिरिक्त उसके 13 वर्ष से कम उम्र के 3 बच्चों का लालन पालन का भार भी उसी पर है।
घर में कमाई का साधन न होने के बावजूद भी किसी तरह समाजसेवी लोगों की मदद से गुर्दा प्रत्यारोपण का आप्रेशन तो हो गया। लेकिन अभी भी उसके पति सुभाष चंद का उपचार पीजीआई चंडीगढ़ में चल रहा है । वीना देवी ने बताया कि पति की बीमारी के कारण 3 बच्चों के लालन-पालन के बोझ के कारण परिवार को पति का ईलाज जारी रखना तो दूर परंतु रोटी रोजी के भी लाले पड़े हुए हैं।
यदि समय रहते सुभाष चंद के परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध न हुई तो वीना देवी द्वारा जान बचाने के लिए दिए गए गुर्दे के बाद भी सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है। उसने समाजसेवी संस्थाओं, दानी लोगों तथा प्रदेश सरकार से मानवता के आधार पर पति के ईलाज हेतु आर्थिक सहायता के लिए मदद करने की गुहार लगाई है ।