नाहन (एमबीएम न्यूज): सर, मैं दो दशकों से साहित्य से जुड़ी हूं। लगातार सरकारी व गैर सरकारी कवि गोष्ठियों में शिरकत भी करती रही हूं। मेरे द्वारा लेखन कार्य भी निरंतर रूप से किया जा रहा है। हैरत की बात है, वर्तमान जिला भाषा अधिकारी द्वारा न तो मुझे मासिक कवि गोष्ठियों की सूचना दी जा रही है, न ही कवि सम्मेलनों में बुलाया जा रहा है।
निराशा की बात यह है कि कुछ कवि जो दूसरों की रचनाएं अपने नाम से पढ़ रहे हैं, उन्हें विभाग द्वारा लगातार बुलाया जा रहा है। ऐसे कार्य से साहित्य का उत्थान होने की बजाय पतन हो रहा है। यही वह शब्द है, जो युवा कवयित्री शबाना सैय्यद उपायुक्त बीसी बडालिया को पत्र के माध्यम से लिखे हैं। कवयित्री ने कहा कि एक ओर जहां बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर कार्य कर रहे हैं, वहीं विभाग द्वारा मौलिक कविताएं लिखने वालों को नजर अंदाज किया जा रहा हैॅ।
कवयित्री का यह भी कहना है कि उनके अलावा भी कुछ ऐसे कवि हैं, जिन्हें भी अनदेखी का शिकार होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अन्य स्थापित व नवोदित कवियों को भी विभाग से यही शिकायत है कि जो मौलिक रचनाएं लिख रहे हैं, उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाता। जबकि पिछले कुछ समय से जो कवि नहीं हंै, साथ ही चोरी की रचनाएं पढ़ते हैं, उन्हें विभाग पूरी प्राथमिकता देता है।
कुल मिलाकर इन आरोपों की जांच दूध का दूध, पानी का पानी कर सकती है। उधर बताया यह भी जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले में कवि सम्मेलन प्रस्तावित है। इसमें खास कवियों को आमंत्रित किया गया है। इसी कारण इस तरह का विवाद पैदा हुआ है।
उधर जिला भाषा अधिकारी ने तमाम आरोपों को नकारते हुए कहा कि स्थापित साहित्यकारों को पूरी प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने कहा कि जानबूझ कर विभाग को बदनाम करने का षडयंत्र किया जा रहा है। जिला भाषा अधिकारी ने कहा कि जहां तक शिकायतकर्ता को मेले में आयोजित हो रहे कवि सम्मेलन में बुलाने का सवाल है तो उन्हें आमंत्रित किया गया है।