नेरचौक (कपिल सेन): मिनी पंजाब के नाम से विख्यात बल्ह घाटी के किसान इन दिनों लावारिस पशुओं से परेशान हैं। बल्ह घाटी में नगदी फसलों की बिजाई, निराई तथा गुड़ाई का कार्य आजकल जोरों पर चला हुआ है। किसान गोभी, मूली, शलगम, धनियां, पालक, सरसों तथा साग आदि फसल का कार्य कर रहे हैं। कुछ फसल तैयार हो चुकी है तथा बाकी की बिजाई हो रही हैं। लेकिन लावारिस पशुओं के आने से किसानों की नींद उड़ गई है।
किसानों को मजबूरन रोज रात भर जाग पहरा देना पड़ रहा ताकि मेहनत से तैयार की गई फसल को लावारिस पशु चट न कर जाएं। वहीं घाटी के टांवा, कंसा, स्यांह, लोहारा, ढांबण, स्योहली, खांदला, कुम्मी, लोहारा, नलसर व डडौर आदि स्थानों पर लावारिस पशुओं ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। जिससे परेशान हो कुछ लोगों ने पशुओं को पकड़ कर बांध अपनी फसलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इन पशुओं से निजात दिलाने के लिए क्षेत्र के कुछ किसानों का प्रतिनिधिमंडल उपमंडलाधिकारी बल्ह से मिला और अपनी समस्या को समक्ष रख छुटकारा दिलाने की अपील की।
किसानों का कहना है कि जो पशु यहां छोड़े गए है उनके कानों पर टैग लगे हुए है और पशुऔषधालय से जानकारी लेने पर पाया गया कि वह सभी बिलासपरु जिला के घुमारवीं क्षेत्र के हैं। रात के अंधेरे का फायदा लेकर गाडि़यां भरकर लाई जाती हैं और बल्ह घाटी में छोड़ दिए जाते हैं। क्षेत्र के किसान पूर्ण चंद, धन्ना, कृष्ण चंद, बिटु, निक्का राम, राम सिंह, हरीश कुमार, जय राम, चमन लाल, सुनील कुमार आदि ने प्रशासन से मांग की कि जो व्यक्ति ऐसे पशुओं को छोड़ रहे हैं उन्हें पकड़ा जाए तथा उन पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए।
लावारिस पशुओं के मामले में किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल मिला है। उनके अनुसार टैग लगे पशुओं को भी छोड़ा गया है, इस मामले में छानबीन कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ताकि किसानों की फसलों को नुक्सान न हो सके।
– सिद्धार्थ आचार्य-उपमंडलाधिकारी बल्ह