मंडी(वी कुमार): जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर त्रिवेणी के नाम से मशहूर रिवालसर शहर की प्राचीन झील को फिर से सांसें देने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए जिला प्रशासन ने मास्टर प्लान तैयार कर लिया है और जल्द ही झील में कम हो चुकी आक्सीजन को बढ़ाने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इस बात की पुष्टि डीसी मंडी संदीप कदम ने की है। बता दें कि रिवालसर शहर को तीन धर्मों की संगम स्थली के नाम से जाना जाता है।
यहां पर हिंदू, बौद्ध और सिक्ख धर्म के लोग रहते हैं। शहर के बीचों बीच एक प्राचीन झील है जिसके साथ लोगों की भारी आस्था जुड़ी हुई है। लेकिन इस झील की उचित देखभाल न होने के कारण आज इसके अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने लग गए हैं। बाहर से आने वाले गंदे मलबे के कारण झील में गाद की मात्रा इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि झील मात्र 15 फिट गहरी रह गई है। इसके साथ ही झील में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण इसमें आक्सीजन की भारी कमी हो गई है। प्रशासन ने झील को फिर से पुर्नजीवित करने की दिशा में प्रयास करना शुरू कर दिया है।
झील में कम हो रही आक्सीजन को बढ़ाने के लिए इसमें आक्सीजन पाईपें डालने का निर्णय लिया गया है। जिस प्रकार एक एक्वेरियम में आक्सीजन को बरकरार रखने के लिए पाईप लगाई जाती है ठीक उसी प्रकार से रिवालसर झील में भी आक्सीजन बढ़ाने के लिए पाईपें लगाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए प्रशासन ने कुछ नीजि कंपनियों के साथ संपर्क साधा है और जल्द ही किसी एक कंपनी को यह कार्य देकर झील को सांसें देने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही झील में बढ़ चुकी गाद को निकालने के लिए एक प्रपोजल राज्य सरकार को भेजी गई है और जैसे ही यह प्रपोजल मंजूर हो जाएगी तो इस कार्य को भी शुरू कर दिया जाएगा।
वहीं झील में साफ-सफाई, गाद निकासी, कैचमैंट क्षेत्र में पानी निकासी, भूमि कटाव रोकने व मछलियों के लिए फीडिंग की स्थायी व्यवस्था करने के लिए केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने वन विभाग को करीब सात करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। नगर पंचायत ने झील के सौंदर्यीकरण के लिए ढाई करोड़ रुपये का खाका तैयार कर सरकार को मंजूरी के लिए भेजा है।