नाहन (एमबीएम न्यूज) : सिरमौर की सराहां तहसील में नारग को किवी उत्पादन की वजह से न्यूजीलैंड भी कहा जाने लगा है। दीगर है कि न्यूजीलैंड में किवी राष्ट्रीय फल है। कुछ सालों से इस औषधीय फल के उत्पादन में यहां इजाफा हुआ है। औषधीय गुणों से भरपूर होने की वजह से बागवानों को इसका मूल्य 150 से 350 रुपए प्रति किलो तक मिल रहा है। दीगर है कि राजगढ़ क्षेत्र को भी पीच वैली ऑफ एशिया कहा जाता है।
डॉ.वाईएस परमार वानिकी एवम बागवानी यूनिवर्सिटी नौणी पिछले तीन वर्षों से किवी के पौधों की डिमांड भी पूरी नहीं कर पाया है। इन दिनों जिला सिरमौर की नारग उपतहसील के थलेड़ी की बैड़, दाड़ों-देवरिया, मानगढ़ और राजगढ़ में किसानों व बागवानों द्वारा किवी के बगीचे तैयार किए जा रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश के कई अन्य जिलों से भी किवी के पौधों की मांग लगातार बढ़ रही है।
बागवानों ने बताया कि प्रदेश में सेब के पौधे तो आसनी से मिल रहे है, मगर किवी के पौधे डिमांड के बावजूद भी नहीं मिल रहे है। डॉ. वाईएस परमार वानिकी एवम बागवानी यूनिवर्सिटी नौणी मांग के अनुपात में पौधे उपलब्ध नहीं करवा पा रही है।
गौरतलब है कि किवी का पौधा पांच वर्षों में फल देना शुरू कर देता है। प्रदेश के बागवानों को एलीसन, हेवाड़, ब्रुनों, मोन्टी किस्में नौणी यूनिवर्सिटी द्वारा वितरित की जा रही है। इसमें मेल किस्म अलग से उपलब्ध कराई जाती है। जिन बागवानों के बागीचे तैयार हो गए हैं, वे आजकल किवी का उत्पादन कर रहे हैं। किवी में पोलीनेशन का मुख्य काम होता है, इसमें मेल व फीमेल फूल को टच करा कर फल तैयार किया जाता है।
मई में पोलीनेशन के बाद जुलाई-अगस्त में फल लगता है। सितंबर-अक्तूबर में किवी का तुड़ान कर मंडियों में भेजा जाता है। सिरमौर जिला के नारग, राजगढ़ व मानगढ़ के बागवान आजकल किवी का तुड़ान कर दिल्ली, लुधियाना व महाराष्ट्र की मंडियों में भेज रहे हैं।
नारग उपतहसील के थलेड़ी की बैड़ के किवी उत्पादक रिंकू पंवार ने बताया कि इस बार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किवी के दाम कम मिले है। आजकल दिल्ली में किवी 150 रुपए से लेकर 250 रुपए प्रतिकिलो तक बिक रही है। जबकि गत वर्ष दिल्ली में डेंगू बुखार अधिक मात्रा में होने से किवी का मूल्य 200 रूपए से लेकर 350 रूपए तक रहा था।