नाहन (एमबीएम न्यूज) : हिमाचल प्रदेश में नेशनल एंबूलेंस सर्विस 108 ने लगभग 5 वर्ष 9 महीनों के दौरान 8 लाख 2 हजार 622 आपात्कालीन मामलों को निपटाया है, जिनमें कि 7,78,689 चिकित्सा संबंधी मामले 19,251 पुलिस संबंधित मामले एवं 4,682 अग्नि संबंधित मामलों का सफलतापूर्वक निवारण कर प्रदेश की जनता को राहत पहुंचाई है।
इस कार्यकाल के दौरान 108 में कार्यरत कुशल एमरजेंसी मेडिकल टैक्नीशियनों ने 6822 (अगस्त 2016) से अधिक सफल प्रसव करवाए हैं और 58,540 (जुलाई 2016) प्रदेशवासियों का अनमोल जीवन बचाया। जिला सिरमौर 108 प्रभारी रजनीश ने बताया कि 108 पर की गई कोई भी कॉल जान बचाने जैसी आपातकालीन कॉल के रूप में ली जाती है। सोलन स्थित आपातकालीन प्रबंधन केन्द्र में प्रतिदिन औसतन 2500 से 3000 कॉल्ज दर्ज की जाती है। जिनमें से 99 प्रतिशत कॉलों का तत्क्षण उत्तर दिया जाता है। एंबूलेंस भेजने की इस प्रक्रिया में कोई त्रुटि न रह जाए।
यह सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधन केन्द्र में कार्यरत आपातकालीन प्रतिक्रिया अधिकारी (ईआरओ) को एकत्रित करता है। उसे समझकर नजदीकी वाहन को घटनास्थल पर भेजता है। यह पूरी प्रक्रिया 102 सैकंड से भी कम समय में पूर्ण कर ली जाती है। 108 सेवा हिमाचल प्रदेश के शहरी इलाकों में औसतन 13 मिनट और ग्रामीण इलाकों में 35 मिनट के भीतर पहुंचकर प्रदेशवासियों को जरूरी उपचार देने में सफल रही है।
सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के सामंजस्य से हासिल की गई इससे बड़ी दूसरी कोई उपलब्धि नहीं हो सकती। नेशनल एंबूलेंस सर्विस 108 ने हिमाचल प्रदेश में अल्प समय में अपने उद्देश्य में जैसी सफलता हासिल की है। उसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। इसके अतिरिक्त इस योजना के अस्तित्व से जुड़ी गौरवपूर्ण बात यह है कि इसका हर विचारधारा वाले नागरिक ने एकमत से स्वागत किया।
108 नेशनल एंबूलेंस के मार्केटिंग प्रभारी अभिषेक भंगालिया ने बताया कि आज जीवीके ईएमआरआई द्वारा इन सेवाओं को देश के 15 राज्यों एवं 2 केन्द्रशासित प्रदेशों तथा श्रीलंका में सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। 25 दिसंबर 2010 को हिमाचल प्रदेश में जब इस स्वास्थ्य वरदायिनी योजना का शुभारंभ हुआ था, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह कठिन परिस्थितियों एवं कम आबादी वाले हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में सफलता के ऐसे परचम लहराएगी।
इस अवसर पर मेहुल सुकुमारन स्टेट हैड, जीवीके ईएमआरआई 108, हिमाचल प्रदेश ने समस्त जीवीके टीम को इस उपलब्धि पर बधाई दी व प्रदेश सरकार एवं एनएचएम का निरन्तर सहयोग प्रदान करने पर आभार प्रकट किया। हम प्रदेशवासियों को अपील करते हैं कि अस्पताल जाने के लिए 108 का लाभ उठाना चाहिए। प्रसव के उपरान्त जच्चा-बच्चा को सकुशल व निशुल्क अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए 102 का इस्तमाल करना चाहिए। 108 आपातकालीन सेवा और 102 जननी एक्सप्रेस की शुरुआत से हिमाचल प्रदेश की मातृत्व दर और शिशु दर में कमी हुई है।