नाहन – असहाय, लाचार व बीमार गायों के लिए माता बालासुंदरी गौसदन एक मिसाल बनकर उभरा है। लोगों द्वारा छोड़े गए अनउत्पादक पशुओं को उचित चिकित्सा, आहार एवं उत्तम देख-रेख प्रदान कर गौसदन में दूध उत्पादन के एक नए आयाम स्थापित किए गए है। नैशनल हाइवे-72 पर नाहन से करीब चार किलोमीटर दूर दोसड़का के समीप स्थित इस गौसदन में वर्तमान में करीब 85 गाय रखी गई है। इन गायों को रखने के लिए बाकायदा उचित स्थल बनाए गए है। पषु कल्याण एवं पशुओं के प्रति कू्ररता निवारण समिति द्वारा अन्य कई ऐसे कार्य भी किए गए हैं, जिनसे आय अर्जित हो सके। गौसदन परिसर में औषधीय पादप वाटिका भी स्थापित की गई है। इसमें कई प्रकार के औषधीय पौधे भी लगाए गए है। इसके अलावा पॉलीहाउस में जैविक विधि से फूल व सब्जियों का उत्पादन, अर्क उत्पादन प्रयोगशाला की स्थापना की गई है। वहीं निर्मित किए गए उत्पादों के विक्रय केंद्र भी आय को अर्जित करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। वहीं दानी सज्जनों के लिए विशेष योजनाएं भी बनाई गई है। इसके अतिरिक्त गौसदन में वर्मी कंपोस्ट, वर्मीवाश, पॉली तालाब, गौबर गैस प्लांट, पोषण वाटिका, वाटर हारवेस्टिंग टैंक आदि का निर्माण भी यहां किया गया है। वहीं तरल जैविक खाद एवं कीट नाशक को भी तैयार किया जा रहा है। वीरवार को डीसी सिरमौर रितेश चौहान ने भी गौसदन का दौरा कर यहां किए जा रहे कार्यों की सराहना की। इस मौके पर समिति की सचिव डॉ. नीरू शबनम ने गौसदन की बेहतरी के लिए कुछेक कार्य करवाने की मांग रखी। डीसी सिरमौर रितेश चौहान ने बताया कि माता बालासुंदरी गौसदन में गौसंरक्षण को लेकर बेहतर कार्य किया जा रहा है। वर्मी कंपोस्ट सहित अन्य कई कार्य को यहां सफलतापूर्वक हो रहे हैं। उधर समिति के सचिव आरपी बंसल ने बताया कि गौसदन में किए जा रहे कार्य प्रशंसनीय है। यहां पर दूध देना छोड़ देने व अन्य बीमारियों से ग्रस्ति गायों की देखरेख की जाती है।
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