शिमला, 06 मई : प्रदेश के कबायली जिला लाहौल-स्पीति में होने वाले विधानसभा उप चुनाव में गुरु व शिष्या की भिडंत होगी। राजनीति वास्तव में ही दिलचस्प है। यहां, निष्ठा व दोस्ती का कोई स्थान नहीं है। ये सब बीते जमाने की बातें हो गई हैं। पिछले 10 सालों से जीतने का मादा रखने वाले उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया जाता है।
पूर्व मंत्री रामलाल मारकंडा मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के करीबी दोस्तों में शामिल हैं। मगर राजनीति में दोस्ती मायने नहीं रखती। यहां सबको अपना-अपना अस्तित्व देखना है। एक लंबी इंतजार के बाद कांग्रेस पार्टी ने लाहौल-स्पीति से कांग्रेस के बागी व भाजपा उम्मीदवार रवि ठाकुर के खिलाफ उनकी राजनीतिक शिष्या अनुराधा ठाकुर को टिकट देकर यह साबित कर दिया है।
अनुराधा ठाकुर वर्तमान में लाहौल-स्पीति की जिला परिषद की चेयरमैन हैं। मास्टर स्ट्रोक खेलने वाले सीएम ने जमीन से जुड़ी अनुराधा को टिकट देकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। जहां उन्होंने महिलाओं को रिझाने की कोशिश की है, वहीं पंचायतीराज से प्रमोट कर अनुराधा ठाकुर को विधानसभा में लाने की कवायद की है। अब अनुराधा रवि ठाकुर के साथ मुकाबले में कितना जौहर दिखाएंगी, यह लाहौल-स्पीति के मतदाता तय करेंगे।
हिमाचल की ताजा खबरों के लिए ज्वाइन करें हमारा WhatsApp चैनल
कौन हैं अनुराधा ठाकुर…
अनुराधा ठाकुर को अढ़ाई वर्ष पहले रवि ठाकुर राजनीति में लेकर आए थे। अनुराधा डीसी ऑफिस लाहौल-स्पीति में अनुबंध आधार पर डाटा ऑपरेटर थी। नौकरी से इस्तीफा दिलवा रवि ठाकुर ने सिस्सू वार्ड से अनुराधा को जिला परिषद का चुनाव लड़वाया था। वहां भाजपा के दो कार्यकर्ता चुनाव लड़े थे। अनुराधा का राजयोग जाग चुका था।
भाजपाई उम्मीदवारों के वोट आपस में बंटने से बाजी अनुराधा के हाथ लगी। यही नहीं, बाद में रवि ने उन्हें जिला परिषद चेयरमैन बनाने में भी अपनी जबरदस्त भूमिका निभाई। तब रवि ठाकुर ने भी नहीं सोचा होगा, जिसे वो राजनीति में लेकर आ रहे हैं, उन्हीं से विधानसभा उप चुनाव में उनका मुकाबला होगा।
क्या रहा इतिहास…
1967 में लाहौल-स्पीति विधानसभा अस्तित्व में आई। यह विधानसभा क्षेत्र कबायली होने के कारण साक्षरता दर में भी आगे है। यहां से कई ब्यूरोक्रेट भी राजनीति में भाग्य आजमा चुके हैं, लेकिन यहां के मतदाता ज्यादा दिन किसी को अपना वर्चस्व नहीं स्थापित करने देते। 1967 में पहली दफा देवी सिंह यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते थे। बाद में 1972 में लता ठाकुर कांग्रेस के टिकट पर जीती। उसके बाद 1977, 1982 व 1985 में जनता पार्टी के टिकट पर पहले विधायक बने देवी सिंह ने लगातार तीन चुनाव जीते।
1990 व 1993 में यहां कांग्रेस के फुंग चुंग राय ने कांग्रेस के टिकट पर विजय प्राप्त की। 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस के उम्मीदवार राम लाल मारकंडा ने पहली जीत दर्ज की। उसके बाद मारकंडा 2007 व 2017 में भाजपा के टिकट पर जीते। 2003 में कांग्रेस के टिकट पर रघुवीर सिंह ठाकुर ने चुनाव जीता। वर्ष 2012 व 2022 में रवि ठाकुर कांग्रेस के टिकट पर यहां से जीते।
क्षेत्रफल के आधार पर विधानसभा काफी विस्तृत है। यह मंडी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता हे। भौगोलिक रूप से यह विधानसभा क्षेत्र दो भागों में बंटा है, लाहौल व स्पीति वैली के तौर पर इसे जाना जाता है। ज्यादातर विधायक लाहौल क्षेत्र से बने हैं। बीते चुनाव में कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार रवि ठाकुर ने यहां 52.19 प्रतिशत मत हासिल किए थे। वहीं, उनके निकटतम प्रतिद्वंदी रामलाल मार्कंडेय को 44.32 प्रतिशत मत हासिल हुए थे।
@A1