शैलेंद्र कालरा की रिपोर्ट
शिमला, 15 अप्रैल: आखिरकार, कांग्रेस ने उस मिथ्या को तोड़ने की कोशिश की है, जिसमें कांग्रेस को उम्रदराज नेताओं को ढ़ोने को लेकर कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है। हालांकि, मंडी (Mandi) संसदीय क्षेत्र से युवा मंत्री विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) का टिकट अप्रत्याशित (unexpected) नहीं था, क्योंकि ये बिसात उसी दिन बिछा दी गई थी, जिस दिन अचानक ही चुनाव समिति की बैठक में विक्रमादित्य को दिल्ली (Delhi) बुला लिया गया था।
वहीं, शिमला संसदीय क्षेत्र से 6 बार सांसद रहे दिवंगत केडी सुल्तानपुरी के बेटे विनोद सुल्तानपुरी (Vinod Sultanpuri) को टिकट थमाया गया है। सीटिंग विधायकों (Seating legislators) को टिकट देकर राज्य सरकार के अल्पमत में होने के आरोपों को लेकर भी सुक्खू सरकार (Sukhu government) ने कड़ा संदेश दिया है।
बहरहाल, 64 साल की मौजूदा सांसद व हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा प्रतिभा सिंह की जगह उनके 33 साल के बेटे व युवा लोक निर्माण विभाग (PWD Minister) मंत्री विक्रमादित्य सिंह पर दांव खेला गया है। बेशक ही 84 साल के नेता कर्नल धनीराम शांडिल (Call Dhani Ram Shandil) को सुक्खू सरकार में मंत्री पद मिला हुआ है, लेकिन कांग्रेस ने शांडिल पर लोकसभा का दांव खेलने से परहेज किया है।
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लाजमी तौर पर इसके पीछे बड़ी वजह उम्र ही है। कांग्रेस ने 42 साल के विधायक विनोद सुल्तानपुरी को जंग में योद्धा (Warrior) बनाया है। सीटिंग विधायकों को टिकट देकर कांग्रेस ने उन अटकलों को भी खारिज कर दिया है, जिसमें प्रबल तौर पर ये दावा किया जा रहा था कि विधानसभा (Assembly) में विधायकों (MLA’s) के अंकगणित के मद्देनजर सीटिंग विधायकों को टिकट नहीं दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि विक्रमादित्य सिंह का जन्म 17 अक्तूबर 1989 को हुआ है, जबकि विनोद सुल्तानपुरी का जन्म 3 फरवरी 1982 को हुआ।
विधानसभा का अंकगणित….
फिलहाल विधानसभा में विधायकों की संख्या 62 है। 4 जून को उप चुनाव के परिणाम आने के बाद निर्दलीय विधायकों की स्थिति पर आंकड़ा निर्भर करेगा। यदि, 3 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं। साथ ही कांग्रेस के सीटिंग विधायक भी चुनाव जीतते हैं तो पांच विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव के हालात पैदा होंगे।
यदि, 7 मई से पहले निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर होते हैं तो उस सूरत में ही एक जून को 9 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो सकेंगे, अन्यथा तीन विधानसभा क्षेत्रों का उप चुनाव आगे खिसकेगा। दीगर है कि 6 मई को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है।
इस्तीफा (resignations) मंजूर करने को लेकर कांग्रेस मौका मिलने पर ही चौका लगाएगी। ऐसा भी माना जा रहा है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ही निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे को मंजूर किया जा सकता है। यह अलग बात है कि हाईकोर्ट के आदेश क्या होते है।
उधर, विक्रमादित्य सिंह व विनोद सुल्तानपुरी के चुनाव जीतने की स्थिति में कांग्रेस का आंकड़ा उस समय 32 होगा, जब दोनों के पास विधायक के पद से इस्तीफा देने के लिए भी समय होगा। उस स्थिति में कांग्रेस 5 हलकों में उप चुनाव करवा सकती है, यानि कांग्रेस के पास राज्य की सरकार को बचाने का एक और मौका होगा।
ये भी जरूरी नहीं कि चुनाव जीतने के बाद विक्रमादित्य व विनोद सुल्तानपुरी को विधायक के पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। उनके सामने मौके की नजाकत के मुताबिक लोकसभा सदस्य के रूप में इस्तीफा देने का विकल्प भी बरकरार रहेगा। मौजूदा में कांग्रेस के पास 34 विधायक हैं। 6 की 6 सीटों पर चुनाव जीतने की स्थिति में भाजपा (BJP) का आंकड़ा 31 पहुंचता है। ऐसे में भाजपा को निर्दलीयों का साथ जरूरी होगा। उधर, यदि कांग्रेस (Congress) के सीटिंग विधायक लोकसभा का चुनाव नहीं जीतते हैं तो कांग्रेस का आंकड़ा 34 ही रहेगा।