सोलन, 11 अप्रैल : अक्सर, आपने फिल्मों में ही देखा होगा, कैसे फ़िल्म का “हीरो” अनजान की जान बचाने के मकसद से ट्रेन के सामने कूद जाता है। लेकिन, रियल लाइफ (Real life) में ऐसा कम ही देखने को मिलता है। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के शिमला जनपद के चौपाल (Chopal) उपमंडल के चंबी से ताल्लुक रखने वाले 24 साल के युवक ऋतिक ने ऐसा रियल लाइफ (Real Life) में कर दिखाया है। नवरात्रि (Navratri) की पूर्व संध्या पर दो कन्याओं की जान बचाने की जद्दोजहद में अपना एक पैर गंवा दिया। लेकिन, कुदरत ने बहादुर युवक को नव जीवन बख्शा है। पीजीआई चंडीगढ़ में युवक उपचारधीन है, विडम्बना देखिये बहादुरी की दुर्लभ मिसाल (Exemplary Bravery) पेश करने वाले युवक को चौथे दिन भी पीजीआई (PGI Chandigarh) में एक बेड तक नसीब नहीं हुआ।
मामला, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सोलन का है। कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक (Kalka-Shimla Heritage Track) पर दो मासूम बच्चियों को बचाते हुए ऋतिक खुद ट्रेन की चपेट में आ गया। बच्चियों को रेलवे ट्रैक से धकेलने के बाद खुद काफी दूर तक ट्रेन के साथ ही घसीटता चला गया। फ़ोन पर एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में ऋतिक ने कहा, मेरी जगह कोई अन्य होता तो वो भी शायद ऐसा ही करता।
जैसा ऋतिक ने बताया..
रात के आठ बज चुके थे। करीब 5 व 6 साल की बच्चियां भी ट्रैक पर चल रही है, लगा वो भी आस-पास की ही रहने वाली हैं। अचानक ट्रेन की आवाज सुनाई दी। सामान्य तौर पर रात को इस समय ट्रेन (Train) नहीं आती है। मेरा रोज का आना-जाना है। मुझे लगा कि ट्रेन धीमी रफ़्तार से आएगी तब तक वो बच्चियों को ट्रैक से हटाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाएगा, लेकिन शायद वो मालगाड़ी थी जो तेज रफ़्तार से आ गई। बच्चों को धकेलने के बाद खुद चपेट में आ गया। काफी दूर जाकर ट्रेन रुक गई। चंद मिनटों में काफी लोग इकट्ठा हो गए। मुझे, उठाकर डीसी कार्यालय (DC office) तक पहुंचाया गया, जहां से एम्बुलेंस में मुझे अस्पताल पहुंचाया गया। इसके बाद पीजीआई (PGI Chandigarh) रैफर किया गया। एक पांव खो दिया है, लेकिन इसका मलाल नहीं है क्योंकि दो नन्ही बच्चियों का जीवन बचा पाया हूं। एक बच्ची को चोटें लगी है वो भी शायद पीजीआई में ही दाखिल है। भगवान से उनकी दीर्घायु की कामना करता हूं। बता दें कि बहादुरी की मिसाल पेश करने वाला युवक सोलन में एक निजी नौकरी करता है।
भाई ने बताया..
पीजीआई में ऋतिक की देखभाल कर रहे बड़े भाई साहिल ने एमबीएम न्यूज़ को बताया कि समूचा परिवार भाई की बहादुरी पर गौरव महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऋतिक की हालत स्थिर है। बच्चियों के घर से फ़ोन आ रहे है वो ऋतिक से मिलना चाहते हैं। साहिल ने कहा कि परिवार को आर्थिक मदद प्रदान करने के उद्देश्य से ही ऋतिक सोलन नौकरी करने गया था।
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वही, जब यह मामला उपयुक्त सोलन के ध्यान में लाया गया तो उन्होंने बताया कि घायल युवक की हर संभव मदद की जाएगी। बहरहाल, बेशक ही बहादुरी के कई किस्से सामने आते है, लेकिन ऋतिक ने भी उस समाज के लिए एक शानदार मिसाल पेश की है… मतलबी है लोग यहां मतलबी जमाना।