शिमला, 01 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश के तीनों निर्दलीय विधायक अपने इस्तीफे पर प्रदेश हाईकोर्ट का रूख करेंगे। हमीरपुर से विधायक आशीष शर्मा, देहरा से होशियार सिंह और नालागढ़ से केएल ठाकुर इस्तीफा मंजूर न होने पर मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे। तीनों निर्दलीय विधायक 10 दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं।
चूंकि स्पीकर ने अभी तक इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है, इसलिए तीनों विधायक अपना इस्तीफा मंजूर कराने के लिए हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की मांग करेंगे। बीते 22 मार्च को तीनों विधायकों ने पहले विधानसभा सचिव को इस्तीफा दिया। बाद में उन्होंने स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया से मुलाकात की और अपने इस्तीफे स्वीकार करने का व्यक्तिगत अनुरोध किया। इसके बाद वे राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से भी मिले थे। अगले दिन तीनों 23 मार्च को तीनों निर्दलीय विधायक दिल्ली जाकर भाजपा में शामिल हो गए थे। निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने सोमवार को बताया कि इस्तीफा मंजूर न होने पर मंगलवार को प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।
बता दें कि तीनों निर्दलीय विधायकों के त्यागपत्र को लेकर सुक्खू सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों जगत सिंह नेगी व रोहित ठाकुर ने स्पीकर को शिकायत की है। शिकायत में कहा गया कि पांच साल के लिए चुन कर आए विधायक 15 माह में त्यागपत्र दे रहे हैं। लगता है कि इन पर कोई दबाव है। इस पर स्पीकर ने निर्दलीय विधायकों को नोटिस भेज कर उनसे 10 अप्रैल को पक्ष रखने को कहा है। ऐसे में त्यागपत्र मंजूर न होने से तीनों विधायक असमंजस में हैं।
वहीं, इस मामले सूबे के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने गेंद विधानसभा अध्यक्ष के पाले में डालते हुए उन्हें ही इसके लिए अधिकृत माना है। राज्यपाल का कहना है कि यह विधानसभा स्पीकर का अधिकार क्षेत्र है और इस मामले में वह हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
इस्तीफा मंजूर न होने पर तीनों निर्दलीय विधायक दो दिन पहले विधानसभा परिसर में धरना देकर अपना विरोध जाहिर कर चुके हैं। निर्दलीय विधायकों का आरोप है कि स्पीकर सरकार के दवाब में काम कर रहे हैं। तीनों निर्दलीय विधायकों ने स्पष्ट किया है कि इन्होंने बिना किसी दबाव के स्वेच्छा से अपने इस्तीफे दिए हैं और स्पीकर को ये तत्काल मंजूर कर लेने चाहिए।
दरअसल, 27 फरवरी को हिमाचल की एकमात्र राज्यसभा सीट पर चुनाव के दौरान तीनों निर्दलीय विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था। हालांकि, इससे पहले निर्दलीय विधायक राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे थे।