मंडी, 03 फरवरी : शहरीकरण का सपना दिखाकर नगर निगम में शामिल किए ग्रामीण क्षेत्रों से बिना किसी सुविधाओं के टैक्स का मीटर घूमना शुरू हो गया है। 28 अक्तूबर 2023 को ग्रामीण क्षेत्रों को टैक्स में मिली रियायत की अवधि समाप्त हो चुकी है। 28 अक्तूबर 2024 के बाद इन्हें नगर निगम को हाउस और अन्य प्रकार का टैक्स अदा करना होगा। नगर निगम ने इस संदर्भ में शहरी विकास विभाग को टैक्स में छूट देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उसका कोई जवाब सरकार की तरफ से नहीं आया है। इसलिए अब नगर निगम ने इन सभी ग्रामीण क्षेत्रों से टैक्स वसूलने का मीटर घुमाना शुरू कर दिया है।
नगर निगम के मेयर वीरेंद्र भट्ट ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र नगर निगम में शामिल किए गए हैं। उन सभी से 2024 की समाप्ति से पहले टैक्स वसूला जाएगा। इससे हाउस टैक्स के साथ-साथ वो सभी व्यावसायिक केंद्र भी शामिल हैं, जो इस दायरे में आते हैं। निगम को इन सभी से 2 से ढ़ाई करोड़ की अतिरिक्त आय होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि सभी पार्षद टैक्स में छूट के समय को बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में अभी उस स्तर का विकास नहीं हो पाया है। लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब न आने के कारण यह प्रक्रिया अब शुरू कर दी गई है।
बता दें कि मंडी शहर को नगर निगम बनाने के लिए मंडी शहर के साथ लगते नेला, शिल्हाकीपड़, बाड़ी गुमाणू, तल्याहड़, सन्यारड़, बिजनी, रानी की बाईं, चक्कर, गुटकर, बैहना और बगला सहित अन्य प्रमुख ग्रामीण क्षेत्रों को इसमें शामिल किया गया था। इन क्षेत्रों को ग्रामीणों को शहरीकरण के सब्जबाग तो दिखाए गए लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हो पाया जिससे लोग काफी ज्यादा खफा हैं। नेला निवासी महिपाल और कर्म चंद वर्मा ने माना कि टैक्स ही नगर निगम की आय का मुख्य स्त्रोत है लेकिन यह टैक्स तभी लिया जाए जब इसके बदले में सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने बताया कि इनके क्षेत्रों में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है और ऐसी स्थिति में यह टैक्स नहीं देंगे।