पांगी,22 फरवरी : हिमाचल प्रदेश के चंबा जनपद के जनजातीय क्षेत्र पांगी में जुकारू उत्सव के 12वें दिन चार प्रज्जामंडलों ने “बाहरालू” मेले का आयोजन किया। मेला पुर्थी पंचायत में मनाया जाता है, जिसमें रेई, पुर्थी, शौर और थांदल की प्रजामंडल भाग लेते है। बर्फबारी के बीच भी लोगों की आस्था के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। लोगों ने मिलकर पुर्थी में बाहरालू मेला मनाया।
प्रजामंडलों के ग्रामीण 12 दिन बाद एक-दूसरे से मिलकर काफी खुश हुए। यहां के लोगों की मान्यता है कि चार गांव के लोग 12 दिनों तक एक दूसरे के गांव में नहीं जाते है। 12 दिनों बात बारहालू मेले के दिन सभी के साथ मिलते है। वहीं, जुकारू पर्व के मौके पर एक दूसरे के गले लगते है। ऐसे में जब पुर्थी में मेले का आयोजन किया जाता है तो चारों प्रजामंडलों के लोग ढोल-नगाड़ों के साथ यहां पहुंचते हैं।
इस दौरान रेई और शौर से रथ यात्रा भी निकाली जाती है जो पुर्थी पहुंचती है। रथयात्रा के साथ जहां माता के गूर शामिल रहते हैं वहीं भारी संख्या में स्थानीय लोग भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवाते हैं। बुधवार को 6:00 बजे मलासनी माता मंदिर पुर्थी में थांदल और पुर्थी के लोग लकड़ी से बनी कुकड़ी (माता का खिलौना) की सजावट करने में जुट गए। सुबह 9:00 बजे उन्होंने कुकड़ी को आभूषण पहनाकर रथ यात्रा के लिए तैयार कर दिया। जिस घर की छत पर मेला मनाया जाता है वहां 24 घंटे दीया जलाकर बलिदानो राजा की पूजा की जाती है।
मलासनी माता मंदिर के पुजारी भूरी सिंह ने बताया कि मेले के खत्म होने के अगले दिन यानी वीरवार को सुबह माता के खिलौने कुकड़ी को मेले स्थल से वापस लाया जाएगा। परंपरा के मुताबिक कुकड़ी के गहने उतारने से पहले बलि दी जाती थी लेकिन बलि प्रथा बंद होने के बाद अब नारियल चढ़ाया जाता है। चार प्रजा मंडलों के धूमधाम के साथ बाहरालू मेला मनाया। इस दौरान उन्होंने एक-दूसरे के गले मिलकर शुभकामनाएं भी दीं।