शिमला, 15 फरवरी : लगभग तीन दशक से भी अधिक समय बाद बाहरी राज्य का राजनेता हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) से राज्यसभा (Rajyasabha) का उम्मीदवार बना है। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट पर सत्ताधारी कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) को उम्मीदवार बनाया है। अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व जाने-माने अधिवक्ता हैं।
34 साल पहले वर्ष 1990 में कृष्ण लाल शर्मा हिमाचल से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और शांता कुमार मुख्यमंत्री थे। कृष्ण लाल शर्मा पंजाब के रहने वाले थे। उनसे पहले वर्ष 1978 में जनता पार्टी की सरकार में मोहिंद्र कौर राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं। मोहिद्र कौर भी पंजाब की मूल निवासी थी। पिछले तीन दशक से हिमाचल में किसी भी सत्ताधारी दल ने बाहरी राज्य से नेता को राज्यसभा में नहीं भेजा।
वर्ष 1992 में भाजपा से महेश्वर सिंह, वर्ष 1994 में कांग्रेस से सुशील बरोंगपा और 1996 में चंद्रेश कुमारी, वर्ष 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस से अनिल शर्मा, वर्ष 2000 में भाजपा से कृपाल परमार, वर्ष 2002 में सुरेश भारद्वाज, वर्ष 2004 में कांग्रेस से आनंद शर्मा, वर्ष 2006 में विप्लव ठाकुर, वर्ष 2008 में भाजपा से शांता कुमार को राज्यसभा भेजा था। इसके बाद विमला कश्यप, जगत प्रकाश नड्डा, विप्लव ठाकुर, आनंद शर्मा और जगत प्रकाश नड्डा को राज्यसभा में भेजा। वर्तमान में सिकंदर कुमार और इंदु गोस्वामी राज्यसभा सांसद हैं।
हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता राज्यसभा जाने की कवायद में जुटे थे। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, आशा कुमारी, विप्लव ठाकुर इत्यादि के नाम चर्चा में थे। अभिषेक मनु सिंघवी के नाम की घोषणा से प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को झटका लगा है। इस नाराजगी का आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। माना जाता है कि बाहरी राज्य से राज्यसभा सांसद न तो प्रदेश की आवाज को उठाते हैं और न ही यहां कोई विकास कार्य कराते हैं।