सुंदरनगर, 3 जनवरी : हिमाचल में बिजली बोर्ड के 57 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि महीने की तीन तारीख बीत गई और हजारों कर्मचारियों को वेतन व पेंशन नहीं मिल पाई है। कारण है बिजली बोर्ड का कुप्रबंध जिससे आज कर्मचारियों में भारी रोष है। यह आरोप मंडी में एचपीएसईबी कर्मचारी यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष कनव राणा ने लगाए है। बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने अपना रोष व्यक्त करने के लिए मंडी के सुंदरनगर में गेट मीटिंग की और सरकार से जल्द ही कर्मचारियों के वेतन व पेंशन को बहाल करने की मांग उठाई।
साथ ही यूनियन ने बिजली बोर्ड के एमडी पर कुप्रबंध के आरोप लगाए और कर्मचारी हित में उन्हें जल्द ही हटाने की मांग उठाई। उन्होंने सरकार से बिजली बोर्ड में एक स्थाई एमडी की नियुक्ति करने की मांग उठाई ताकि वह कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में इस प्रकार की समस्या ही उत्पन्न न होने दें। गेट मीटिंग के दौरान बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने अपनी मांगों से संबंधित नारे भी लगाए।
मिटिंग के उपरांत हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष व सुंदरनगर युनिट के प्रधान कनव राणा ने हैरानी जताते हुए कहा कि हिमाचल में बिजली बोर्ड के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिजली बोर्ड के कर्मचारी अभी तक मिलने वाले मासिक वेतन और पेंशन से वंचित है। उन्होंने बताया कि यह पूरी तरह से बिजली बोर्ड प्रबंधन की लापरवाही है, जिसका परिणाम बोर्ड के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि समय पर वेतन व पेंशन न मिलने से कर्मचारियों में रोष है जिसके तहत प्रदेश भर में इस प्रकार की गेट मिटिंग्स की जा रही है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार से जल्द ही बिजली बोर्ड के कर्मचारियों के वेतन व पेंशन की अदायगी करने की मांग उठाई है।
वहीं जब यूनियन से उनके वेतन व पेंशन में हुई देरी का कारण पूछा गया तो कर्मचारी नेता कनव राणा ने बताया कि प्रदेश में दी जा रही फ्री यूनिट बिजली की सब्सिडी की फाइल शायद बोर्ड के दफ्तर में ही धूल फांक रही है। यह फाइल प्रदेश सचिवालय तक पहुंची ही नहीं। जिसके कारण अभी तक सरकार की ओर से धनराशि बोर्ड को जारी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन व पेंशन में देरी के लिए बोर्ड प्रबंधन जिम्मेदार है।