नाहन (रेणु कश्यप) : यहां 48 साल के शम्मी के जज्बे को सलाम करना होगा। इस उम्र में भी शम्मी 18,380 फीट की ऊंचाई पर खरदुंगला तक स्कूटर पर सफर करने को तैयार हैं। बकायदा 40 घंटे के भीतर ही इस सफर को पूरा करने का दावा भी करते हैं। लेकिन 48 वर्षीय शख्स को इस टूर पर जाने के लिए कोई पार्टनर नहीं मिल रहा।
सन 2004 में जब शम्मी ने अपने एक साथ रूपक भारद्वाज के साथ इस चोटी को महज 33 घंटों में ही नाप डाला था, उस वक्त की परिस्थितियां भी अलग थी। लिहाजा अब शम्मी को यह सफर आसान लगता है। लेकिन परिवार अकेले सफर पर निकलने की इजाजत नहीं देता है।
हाल ही में एमबीएम न्यूज ने नाहन के पांच युवकों के खरदुंगला तक सफर को लेकर एक खबर प्रकाशित की थी। इसी के बाद शम्मी के करीब 14 वर्षीय बेटे सैयद अमीन ने एमबीएम को संपर्क साध कर अपने पिता का साहसिक अतीत को एमबीएम न्यूज से साझा किया।
इस बारे जब शम्मी से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि खरदुंगला के अलावा किन्नर कैलाश व अजमेर शरीफ आदि कई लंबी यात्राएं टू व्हीलर पर कर चुके हैं। उन्होंने दावे से कहा कि वह अब भी खरदुंगला तक रिकॉर्ड समय में दो पहिया वाहन पर पहुंच सकते हैं।
क्या किया था 12 साल पहले कारनामा?
10 अगस्त 2004 को शम्मी, रूपक भारद्वाज, शीतल व मनीष वर्मा ने हिम्मत बांध कर स्कूटर पर ही विश्व की सबसे ऊंची सडक़ खरदुंगला को नापने निकल पड़े। सनद रहे कि 2004 में ही शम्मी ने इस स्कूटर को खरीदा था, जिसे आज भी शम्मी ने सहेज कर रखा है। दावा किया गया था कि 33 घंटे में इस दूरी को पूरा कर लिया गया। लेकिन चार में से शम्मी व रूपक ही अंतिम पड़ाव तक पहुंच पाए। 10 अगस्त 2004 को नाहन से रवाना हुए। पहला पड़ाव सुंदरनगर में लिया।
दूसरा पड़ाव केलांग में, तीसरा लद्दाख में। 15 अगस्त को शम्मी अपने पार्टनर रूपक के साथ नाहन लौट आए थे। उनका कहना है कि 13 अगस्त की सुबह चोटी पर तिरंगा फहराया था। उस वक्त के सफर का जिक्र करते हुए शम्मी कहते हैं कि उस समय परिस्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण थी। सडक़ों की हालत भी ठीक नहीं थी। उनका कहना है कि यह सफर एक रिकॉर्ड था, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण कहीं पर भी दर्ज नहीं हुआ।
एडवेंचरर शम्मी के 33 घंटे के सफर को उस समय मीडिया ने सचित्र प्रकाशित किया था। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने इस कठिन सफर को 12 साल पहले 33 घंटे में पूरा करने का दावा अब ताजा फ्लेवर में प्रकाशित कर रहा है।