नाहन, 19 दिसंबर : हालांकि, आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की इम्दाद को क्राउडफंडिंग (crowdfunding) की बातें अक्सर ही सामने आती रहती है। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के प्रति सकारात्मक रवैया भी कई बार सामने आ चुका है। लेकिन शायद, ऐसा किस्सा दुर्लभ ही होगा, जब एक चिकित्सक पहले तो 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला की सांसें लौटा दे, फिर एडवांस उपचार (advanced treatment) के लिए एक लाख रुपए की राशि निजी फंड से उपलब्ध करवा दे। ये अलग बात है कि इस घटनाक्रम में कुदरत को कुछ और ही मंजूर था।
नाहन के समीप कोटडी गांव की रहने वाली महिला शंभूवाला में रह रही थी। अचानक ही दर्द उठी तो पीजीआई चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) से ह्दय प्रतिचय (Heart Blockage) से पीड़ित बताया गया। पेसमेकर (pacemaker) डलवाने की सलाह दी गई। शनिवार को महिला शीला देवी को मेडिकल कॉलेज (Medical College Nahan) लाया गया। इस दौरान मेडिसन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) डॉ. मनमोहन ने ट्रीटमेंट शुरू किया। अचानक ही हार्ट बीट (heart beat) थम गई, लेकिन डॉ. मनमोहन ने हार नहीं मानी।
कार्डियक केयर यूनिट (Cardiac Care Unit) में सीपीआर (CPR) शुरू किया। इन्टर्न्स (Interns) भी सीपीआर में जुट गए। कुछ देर बाद ही सांसें लौट आई। डॉ. मनमोहन ने तुरंत ही पेसमेकर के लिए चंडीगढ़ रैफर किया तो परिजनों ने आर्थिक परेशानी बताई। तुरंत ही डॉ. मनमोहन ने एक लाख रुपए का इंतजाम कर तीमारदारों को सौंप दिए। बाकायदा, मरीज को ले जाने के लिए एडवांस लाइफ सपोर्ट (advanced life support) का इंतजाम किया गया।
चंडीगढ़ में महिला रोगी को अस्थाई पेसमेकर डाल दिया गया, लेकिन वो अगले 24 घंटे के भीतर ही संसार को त्याग गई। शायद, कुदरत को कुछ ओर ही मंजूर था, लेकिन मेडिकल कॉलेज में तैनात चिकित्सक के मानवीय चेहरे ने एक असाधारण इबारत जरूर लिख दी है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जानकारी मिलने के बाद इस घटनाक्रम को क्रॉस चैक भी किया। दिवंगत महिला के परिवार ने एक कंठ से डाूॅ. मनमोहन की प्रशंसा की। दिवंगत महिला के बेटे बॉबी ने विशेष बातचीत में कहा कि डॉ. मनमोहन वास्तव में भगवान हैं। उन्होंने तो टूट चुकी सांसों को वापस लौटा दिया था, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में मेडिकल विभाग के असिस्टेंट प्रोफैसर डॉ. मनमोहन ने कहा कि वो हमेशा ये चाहते हैं कि पैसों के अभाव में जीवन नहीं जाना चाहिए। मेरे पास थे, तो दिए। उन्होंने कहा कि अस्थाई पेसमेकर डल गया था, इसके बाद स्थाई व्यवस्था होनी थी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि शनिवार शाम बुजुर्ग महिला की सांसें उखड़ गई थी, लेकिन सीपीआर की तकनीक से हार्ट बीट लौट आई थी। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ भी एएलएस (ALS) की व्यवस्था के साथ भेजा गया था।