देहरादून, 28 नवंबर : हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।
आखिरकार मंगलवार शाम, वो पल आ गए….17 दिन से सिल्कयारा टनल (Silkyara Tunnel) में फंसे ’हीरो’ मौत को मात देकर लौट आए। 41 मजदूरों के हौसले व दृढ़ निश्चय ने ही मौत को मात दी। बाहर सरकारी तंत्र ने तो पूरा वक्त लिया। हौसला डगमगाया होता तो मौत ही जंग जीतती। ANI ने 7ः55 पर X पर बताया कि एक श्रमिक को सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर लिया गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने रात करीब 8 बजे टनल से निकलने वो झारखंड के श्रमिक को रिसीव किया। इससे पहले धामी की अंतिम पल के रेस्क्यू ऑपरेशन को लाइव देखने की तस्वीरें भी सामने आई।
जैसे-जैसे शाम ढलने लगी, वैसे-वैसे ही ऑपरेशन को सफलता मिलने के क्यास भी तेज हो रहे थे। सुरंग से निकलने के बाद मजदूरों को एक-एक कर मेडिकल कैंप में लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल की तरफ रवाना कर दिए गए। हरेक श्रमिक के लिए एक एंबूलेंस की व्यवस्था दोपहर में ही कर ली गई थी।
सुरंग में प्राथमिक उपचार के बाद श्रमिकों को ग्रीन कॉरिडोर से अस्पताल ले जाया गया। दीगर है कि एम्स ऋषिकेश को भी दोपहर में ही अलर्ट कर दिया गया था। दोपहर में चिनुक हेलीकॉप्टर को भी घटनास्थल के समीप लैंड करवा दिया गया था, ताकि आपात स्थिति में चिन्याली हवाई पट्टी से श्रमिकों को सीधे हायर मेडिकल सैंटर ले जाया जा सके।
शाम साढ़े 3 बजे के आसपास एनडीआरएफ (NDRF) की टीम के टनल में दाखिल होने की सूचना मिली। पहले ये सुनिश्चित किया गया कि मजदूरों को कैसे सुरक्षित निकाला जाएगा। मॉकड्रिल की गई। दोपहर बाद सुरंग में तमाम मेडिकल सुविधाओं को भी जुटा लिया गया था। मजदूरों को निकालने से पहले तरीके को लेकर अभ्यास भी किया गया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी सुरंग में मौजूद रहे।
दोपहर दो बजे के आसपास सिल्क्यारा टनल के बाहर समय हलचल तेज हो गई थी, जब ये खबर सामने आई थी कि 4 से 5 मीटर होल माइनिंग शेष है। सुबह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भी मौके का जायजा लिया था। ऑपरेशन का जिम्मा रैट माइनिंग (Rat Mining) टीम के हवाले था, इस टीम को बेहद तंग जगह में खुदाई का कार्य करने के महारत होती है। रैट माइनिंग को खुदाई की सबसे परखी हुई तकनीक माना जाता है।
सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने लिए रेस्क्यू अभियान लगातार जारी था। सुरंग के भीतर ऑगर मशीन (auger machine) का हेड निकालने के बाद माहिर रैट माइनिंग की टीम को मैन्युअल (Manual) खुदाई की जिम्मेदारी मिली थी। इसमें लिए सेना द्वारा भी मदद की जा रही थी। सुरंग के अंदर फंसे ऑगर मशीन के बरमे को सोमवार सुबह साढ़े तीन बजे के करीब काटकर बाहर निकाल दिया था। इसके बाद रैट माइनर्स को मैन्युअल खुदाई की कमान सौंपी गई थी।
मंगलवार सुबह ही मजदूरों के बाहर निकलने की उम्मीद बंध गई थी, 17वें दिन सफलता हासिल हुई। रैट होल माइनिंग (Rat Hole mining) और सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग (Vertical Drilling) को एक साथ किया जा रहा था। दोपहर बाद रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों के परिजनों से उनके कपड़े और बैग तैयार रखने के निर्देश दिए थे। सुरंग से निकलने के बाद मजदूरों को सीधे ही अस्पताल ले जाया गया। को कहा है। मजदूरों को निकालने के बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जाएगा।
उधर, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला से संबंध रखने वाले इंजीनियर विकेश तोमर भी रेस्क्यू टीम का हिस्सा थे। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में तोमर ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े सिल्कयारा टनल रेस्क्यू में वो तमाम 41 श्रमिकों के बाहर निकलने पर दैव्य व मानव शक्ति को नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू का हिस्सा होने पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
8 राज्यों के 41 श्रमिक…
सिल्कयारा टनल में देश के 8 राज्यों के 41 श्रमिक फंसे थे। इनमें सबसे अधिक झारखंड के 15 मजदूर थे। जबकि उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 3, उत्तराखंड के 2, पश्चिम बंगाल के 4, असम के 2 मजदूरों के अलावा एक हिमाचल से संबंध रखता है।