धर्मशाला, 01 अक्तूबर : जघन्य अपराध की जांच में पुलिस की थ्यौरी में एक तीर होता है। ये वास्तव में नहीं, बल्कि काल्पनिक है। लेकिन कई मर्तबा निशाने पर भी लगता है। बड़ी चुुनौती इस तीर की कल्पना की होती है। हिमाचल की तेजतर्रार आईपीएस व कांगड़ा की पुलिस अधीक्षक की टीम ने भी दिव्यांग से ब्लात्कार की वारदात में एक ऐसा ही प्रयोग किया। चूंकि शिद्दत से दिव्यांग को न्याय दिलवाने की कोशिश हो रही थी, लिहाजा कायनात ने भी काल्पनिक तीर को निशाने पर लगने में मदद की।
ये थी वो कल्पना….
खाकी एक के बाद एक डीएनए सैंपल जांच के लिए भेजती रही। लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिल रही थी। अचानक ही पुलिस के दिमाग में एक विचार कौंधा। क्यों ना भ्रूण का विश्लेषण (Analysis) करवा कर ये पता लगाया जाए कि यह किसी समुदाय विशेष का हो सकता है। यकीन मानिए, करीब एक साल बाद दिव्यांग पीड़िता से दुराचार करने वाला सलाखों के पीछे है। यहां आपको स्पष्ट कर दें कि दिव्यांग पीड़िता गर्भवती हुई थी। भू्रण के डीएनए (DNA) को ही संदिग्धों से मैच किया जा रहा था।
ये है दिव्यांग की आपबीती….
पीड़िता के माता-पिता द्वारा महिला पुलिस स्टेशन (WPS) को बताया गया कि दिव्यांग बेटी( disabled daughter) के पेट दर्द और मानसिक विकार का इलाज आरपीजीएमसी, टांडा (Tanda medical College) और जोनल अस्पताल धर्मशाला में किया जा रहा था । 11 फरवरी, 2023 को बेटी ने गंभीर पेट दर्द (Pain) की शिकायत की। जोनल अस्पताल धर्मशाला के डॉक्टरों ने जांच और चिकित्सा परीक्षण किया। 14 फरवरी 2023 को जांच रिपोर्ट मिली। इसमें पता चला कि उनकी बेटी लगभग चार महीने की गर्भवती है।
अस्पताल से 15 फरवरी 2023 को रिपोर्ट आने के बाद पुलिस को सूचित किया। इस पर महिला थाना धर्मशाला में आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया गया। चूंकि, पीड़िता 100 प्रतिशत विकलांग थी, लिहाजा टांडा मेडिकल कॉलेज (Tanda Medical College) में भ्रूण का गर्भपात किया गया। साथ ही जांच के उद्देश्य से डीएनए का नमूना संरक्षित कर लिया गया। बालिका का इलाज कर रहे चिकित्सक ने पीड़िता से आरोपी के बारे में पूछने की कोशिश की, लेकिन पीड़िता सिर्फ “पावरी पावरी” ही कहती रही। पुलिस को भी ठोस जानकारी नहीं मिल सकी।
वहीं मजिस्ट्रेटी बयान के दौरान, पीड़िता ने “पावरी और जीजा” शब्द ही दोहराए। संदेह के आधार पर दो स्थानीय पटवारी और पीड़िता के बहनोई को जांच में शामिल किया गया और डीएनए के नमूने एकत्र किए गए। सैंपल मैच विश्लेषण रिपोर्ट (analysis Report) में मिलान नहीं हुआ।
पीड़िता के परिवार से दोबारा पूछताछ की गई, लेकिन जांच को दिशा नहीं मिली। वारदात के समय (अक्टूबर 2022) में परिवार के सदस्यों के विस्तृत सेल फोन और स्थान विश्लेषण और पीड़ित के दैनिक कार्यक्रम का गहन अध्ययन किया गया। मामले में उपयोगी जानकारी एकत्र करने के लिए क्षेत्र में कई टीमों को तैनात किया गया था। वरिष्ठ एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री (SSP Kangra Shalini Agnihotri) सहित डीएसपी आरपी जायसवाल और डीएसपी निशा ने लगातार क्षेत्र का दौरा किया और जानकारी एकत्र की।
डीएनए विश्लेषण के लिए 6 महीनों में पीड़ित के परिवार के सदस्यों सहित संभावित संदिग्धों में 36 लोगों को शॉर्टलिस्ट किया गया। डीएनए टेस्ट को आरएफएसएल (RFSL) धर्मशाला भेजा गया था। डीएनए विश्लेषण विशेषज्ञ ने गहरी दिलचस्पी ली और अपराधी की जाति पर उपयोगी जानकारी प्रदान की। आखिर में शिद्दत से कोशिश करने वालों की हार नहीं होती वाली कहावत चरितार्थ हुई, संदिग्ध का एक नमूना भ्रूण के अनुरूप पाया गया। आरोपी जगत प्रकाश को गिरफ्तार कर लिया गया। अपराध कबूल करने के बाद न्यायिक हिरासत में है।
पीड़िता की मेडिकल स्थिति को ध्यान में रखते हुए मामले में आईपीसी की धारा 376 (2) में बदला गया है। यानि,आरोपी द्वारा पीड़िता से बार -बार बलात्कार किया गया। केस का क्रैक करने में आरएफएसएल धर्मशाला (RFSL Dharamshala) के डीएनए विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी ने अहम भूमिका निभाई। केस में डीएसपी निशा द्वारा किए गए प्रयास भी विशेष उल्लेख के पात्र बने हैं ।
ये बोली एसपी….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कांगड़ा की पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री ने कहा कि पीड़िता केवल दो ही शब्द बोल पाती है। पहले तो इसी के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी। अचानक ही विशेष समुदाय पर फोकस कर जांच की गई।
उन्होंने बताया कि आरोपी पीड़िता के घर से कुछ ही दूरी पर रहता है। चूंकि वो भी विशेष समुदाय का ही था, लिहाजा शुरूआती दौर में ही उसका डीएनए सैंपल (DNA sample) लिया गया। एसपी ने कहा कि डीएनए विशेषज्ञों की मदद के बगैर केस को सुलझाना आसान नहीं था। एसपी ने कहा कि विशेष समुदाय में भी आपके सामने ये चुनौती होती है कि किस-किस का सैंपल लिया जाए। उन्होंने कहा कि जांच टीम ने सराहनीय कार्य किया है।