कुल्लू, 18 अक्तूबर : मनाली के जगतसुख गांव की तारा कुमारी ने वानिकी वैज्ञानिक (forestry scientist) बनकर प्रदेश का नाम रोशन किया है। तारा की इस कामयाबी से जिला सहित प्रदेश में खुशी का माहौल है। माता-पिता बेटी की कामयाबी पर बेहद प्रसन्न हैं। तारा के पिता तेजराम व कमला ग्राम-छनाला, डाकघर जगतसुख, तह. मनाली, जिला, कुल्लू, के रहने वाले हैं।
तारा ने दिसंबर 2018 में,पीएचडी यूजीसी-एनटीए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) (जेआरएफ और सहायक प्रोफेसर दोनों) उत्तीर्ण की है। तारा कुमारी वन अनुसंधान संस्थान डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून से पीएचडी कर रही है। तारा कुमारी ने बताया कि उनका शोध कृषि वानिकी के विभिन्न घटकों के बारे में बात करता है, जो भूमि की एक ही इकाई से विविध लाभ प्रदान करने में मदद करता है। यह संभावित रूप से जंगलों पर मानव निर्भरता को कम करता है और स्थायी विकल्प प्रदान करके आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
इसके अलावा पोस्ट-ग्रेजुएशन-वन अनुसंधान संस्थान डीम्ड यूनिवर्सिटी (Post-Graduation-Forest Research Institute Deemed University), देहरादून से वानिकी में मास्टर ऑफ साइंस, एग्रोफोरेस्ट्री में विशेषज्ञता के साथ कुल 77.60% अंक हासिल कर विश्वविद्यालय में दूसरी टॉपर रही। जबकि स्नातक 76.40% अंकों के साथ डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री से वानिकी में ऑनर्स के साथ विज्ञान स्नातक की है। तारा ने कुल्लू वैली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से साइंस स्ट्रीम के तहत विषयों के साथ अंग्रेजी, सूचना अभ्यास, भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित 82% अंकों के साथ पास की है। मैट्रिक में शशांक मॉडल हाई स्कूल, गोजरा से 78.42% के साथ स्कूल टॉपर रही।
तारा ने बताया कि 13 जुलाई 2023 को, मुझे भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) में वैज्ञानिक-बी के रूप में चुना गया, जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सरकार के तहत एक स्वायत्त निकाय है। लिखित परीक्षा अप्रैल 2023 में आयोजित की गई थी और साक्षात्कार जुलाई 2023 में आयोजित किया गया था। कुल मिलाकर, वानिकी विषय के लिए पूरे भारत में 5 सीटें थीं और मैं उनमें से एक में उत्तीर्ण होने के लिए भाग्यशाली रही।
तारा ने कहा कि सबसे पहले,”मैं अपने पूरे करियर में उनके अटूट समर्थन और प्रोत्साहन के लिए अपने माता-पिता और परिवार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहती हूं। मेरी माँ और पिताजी ने मुझ पर विश्वास करना कभी नहीं छोड़ा और उनका निरंतर प्रोत्साहन ही मेरी सफलता के पीछे प्रेरक शक्ति रहा है। साथ ही, मैं अपने सभी शिक्षकों, मार्गदर्शकों, वरिष्ठों और दोस्तों को मेरी परीक्षा उत्तीर्ण करने में उनके अमूल्य समर्थन के लिए बहुत आभारी हूं। उनका मार्गदर्शन, ज्ञान और प्रोत्साहन मेरी सफलता में सहायक रहे।”