नाहन, 15 अगस्त : 77 वें स्वतंत्रता दिवस के जिला स्तरीय समारोह में लोक निर्माण (PWD) मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने जिला मुख्यालय नाहन चौगान मैदान में जिला स्तरीय समारोह में तिरंगा फहराया। उन्होंने पुलिस, होम गार्ड, एनसीसी एनएसएस व स्काउट एवं गाइड की टुकड़ियों द्वारा प्रस्तुत आकर्षक मार्च पास्ट की सलामी ली। इससे पूर्व उन्होंने डॉ. वाईएस परमार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। शहीद चौक पर उन्होंने शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
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इस अवसर पर जनसमूह को संबोधित करते हुए विक्रमादित्य सिंह ने जिलावासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस का यह गौरवमयी दिन उन वीर सपूतों को स्मरण करने का अवसर है, जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर हमें आज़ादी दिलवाई। उन्होंने कहा कि आज़ादी की लड़ाई में हिमाचल के वीर सपूतों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
स्वतंत्रता संग्राम में धामी गोलीकांड, प्रजामण्डल आन्दोलन, सुकेत सत्याग्रह और पझौता आन्दोलन प्रमुख है। उन्होंने कहा स्वाधीनता संग्राम से लेकर देश की सीमाओं की सुरक्षा तक प्रदेश के जवानों ने वीरता का परचम लहराया है। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि देश का पहला परमवीर चक्र प्रदेश के वीर सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा को प्राप्त हुआ था। कैप्टन विक्रम बत्रा, कर्नल डीएस थापा तथा सूबेदार मेजर संजय कुमार को भी उल्लेखनीय पराक्रम के लिए परमवीर चक्र से नवाज़ा गया।
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विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आने वाले सालों में विकास की एक नई गाथा लिखेंगे। इसके लिए उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि इस साल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा ने तबाही का भयानक मंजर दिखाया। यह पिछले कई वर्षों में सबसे बड़ी आपदा है, जिसमें अनेक सड़कें, पुल, जल विद्युत और पेयजल आपूर्ति योजनाओं को भारी क्षति पहुंची। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पुनर्निमाण के लिए कड़ी मेहनत करके पुनः एक आदर्श राज्य के तौर पर स्थापित करेंगे।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि राज्य में लगभग 8 हज़ार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग को 2 हजार करोड़ की क्षति पहुंची है। प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार से राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए 2 हज़ार करोड़ रुपये की राशि तुरन्त जारी करने का आग्रह किया। युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर आपदाओं को प्रकृति का कहर नहीं कह सकते। इसके लिये कहीं न कहीं मानव जिम्मेवार है।
उन्होंने कहा कि नदी-नालों में डम्पिग, सड़कों के किनारे डम्पिग, सड़कों के समीप व नदी नालों के समीप मकान बनाने की होड़, ये सभी कारण बाढ़ और भूःस्खलन को आमंत्रित करने वाली हैं। उन्होंने कहा कि शासन को, प्रशासन को तथा प्रत्येक व्यक्ति को बिगड़ते पर्यावरण तथा मौसमी परिवर्तन पर आत्मचिंतन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति सजग बनना होगा। निर्माण के कार्य वैज्ञानिक तरीके से करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पूर्व में जो कमियां रहीं हैं, उनसे हम सबक सिखेंगे और प्रदेश को विकास के मार्ग पर आगे ले जाने का काम करेंगे।