नाहन, 24 जुलाई : डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज (YSPMC)अक्सर ही विवादों में आ ही जाता है। ताजा घटनाक्रम में अस्पताल प्रबंधन की कथित चूक से नया बाजार की रहने वाली माधुरी कंवर का निधन हो गया। तेरहवीं से निपटते ही दिवंगत महिला की बेटी ‘एकता’ ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोला है।
ये है मामला…
स्वर्गीय माधुरी कंवर को 8 जुलाई की शाम मेडिकल कॉलेज से पीजीआई (PGI) रैफर किया गया। वो चंद सेकेंड भी बगैर ऑक्सीजन के नहीं रह सकती थी। सरकारी एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर की स्पोर्ट पर पीजीआई भेज दिया गया। चंद किलोमीटर दूर ये सिलेंडर खत्म हो गए। एंबुलेंस में मौजूद दूसरे सिलेंडर का इस्तेमाल किया गया। हैरान कर देने वाली बात ये थी कि दूसरा सिलेंडर भी करीब 10 किलोमीटर दूर मोगीनंद के आसपास खत्म हो चुका था।
आनन-फानन में परिवार को सूचना मिली तो बेटी एकता ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर मोगीनंद के लिए निकली, लेकिन एक किलोमीटर के सफर के बाद ही एकता को ‘मां’ की मौत हो जाने की सूचना मिली। एकता की मानें तो रैफर करने के दौरान स्टाफ का व्यवहार नकारात्मक था। बता दें कि सोमवार को एकता ने ऑक्सीजन की कमी के कारण अपनी मां के निधन पर मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल, मेडिकल अधीक्षक व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को तीन पन्नों का शिकायत पत्र भी सौंपा है।
एकता का ये भी कहना है कि रैफर करने के दौरान जब अस्पताल में मौजूद स्टाफ से पूछा गया था तो ये बताया गया था कि दोनों सिलेंडरों में ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में मौजूद है। उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय माधुरी कंवर को 6 जुलाई को मेडिकल कॉलेज में दाखिल करवाया गया था। सांस लेने की दिक्कत हुई थी। शिकायत पत्र में ये कहा गया है कि रात्रि सेवा में मेडिकल कॉलेज के इंटर्न को ही तैनात किया जाता है, जिन्हें इस बात का भी अंदाजा नहीं था कि रोगी को ऑक्सीजन की आवश्यकता है।
आरोप ये भी है कि रोगी को सही समय पर रैफर नहीं किया गया। शिकायत में एकता का ये भी कहना है कि परिवार को तनाव होता है, इससे अनभिज्ञ होकर 8 जुलाई की शाम अस्पताल में तैनात स्टाफ ने बदसलूकी तो की ही, साथ ही पेशेंट को चैक करने की भी जहमत नहीं उठाई। इसके विपरीत सुरक्षा कर्मियों को बुलाकर हमें बाहर निकालने को कहा। एकता ने कहा कि विधायक अजय सोलंकी के संज्ञान में भी मामला लाया गया। विधायक ने मेडिकल विभाग की डॉ. अनिकेता को तुरंत ही अस्पताल पहुंचने के निर्देश दिए थे।
आरोप ये भी है कि जानबूझ कर रैफर समय को शाम 5 बजे दर्शाया गया, जबकि असलियत में एंबुलेंस 6ः55 बजे रवाना हुई। आपातकाल में सीटी स्कैन भी नहीं किया गया। एकता ने निष्पक्ष जांच के बाद जिम्मेदार मेडिकल स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
ये भी सवाल…
गंभीर मामले में ये भी सवाल उठता है कि क्या इस बड़ी चूक का ठीकरा एंबूलेंस के चालक पर फोड़ दिया जाएगा, जबकि चालक की जिम्मेदारी ऑक्सीजन सिलेंडर की नहीं होती। सवाल ये उठता है कि आपातकाल में रैफर किए जा रहे रोगियों के लिए क्या प्रोटोकॉल है। सिलेंडर को चैक करने की जिम्मेदारी कैजुअल्टी वार्ड में किसकी है।
आपको बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले एक महिला रोगी को ऑक्सीजन सिलेंडर देने से इंकार कर दिया गया था। इस दौरान एमबीएम न्यूज की टीम ने मौके पर पहुंचकर दखल दी थी। निजी अस्पताल से सिलेंडर का इंतजाम करने के बाद महिला को चंडीगढ़ रैफर किया गया था।
ये बोले अधिकारी…
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. राजीव तुली ने संपर्क किए जाने पर शिकायत मिलने की पुष्टि की है। उनका कहना था कि अस्पताल का नियंत्रण मेडिकल अधीक्षक के अधिकार क्षेत्र में होता है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर ही गहनता से जांच की जाएगी। इस बारे वो मेडिकल अधीक्षक से बात कर रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) अजय पाठक ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है। सीएमओ ने कहा कि वो इस समय डीसी कार्यालय में व्यस्त हैं, ये देखकर ही बताएंगे कि उनके कार्यालय में ऐसी कोई शिकायत आई है या नहीं।