नाहन,23 जुलाई : हिमाचल प्रदेश के संगड़ाह उपमंडल के मोहतू गांव की “सत्या” की उम्र महज 12 साल की थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो ददाहू चली आई, यहां अस्पताल में तैनात डॉ सुरजीत तरफदार की साढे 3 महीने की बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी उठाने लगी। साथ ही पांचवी कक्षा की पढ़ाई प्राइवेट तौर पर शुरू कर दी। बचपन से ही “सत्या” को कुछ कर गुजरने की चाहत थी।
यकीन मानिए, पांचवी से एमबीए (MBA) की पढ़ाई (Education) प्राइवेट ही पूरी कर ली। वोडाफोन (Vodafone) में करियर शुरू किया। यहां 9 साल की जिम्मेदारी निभाने के बाद रिलायंस (Reliance) में स्विच ओवर किया। काबिलियत का डंका बजाने के बाद सत्या को ब्रेक लेना पड़ा, क्योंकि वो धात्री बनकर कुदरत से जीवन का अनमोल तोहफा हासिल करना चाहती थी। बेटी को जन्म देने के बाद 2017 में सत्य प्रभाकर ने कोटक लाइफ इंश्योरेंस (Kotak Life Insurance) में बतौर लाइफ एडवाइजर (Life Advisor) पारी शुरू कर दी।
लाजमी तौर पर आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि “सत्या प्रभाकर” तो एक अरसा पहले जीवन का मुकाम हासिल कर चुकी थी तो आज हम सफलता की चर्चा क्यों कर रहे है। दरअसल, हाल ही में “सत्या प्रभाकर” ने कोटक लाइफ इंश्योरेंस में अपना टारगेट अचीव किया। इसके बाद कंपनी द्वारा सत्या को एक विदेश ट्रिप दी गई। समूचे उत्तर भारत में एकमात्र सत्या ही कंपनी की कसौटी पर खरा उतरी थी।
मौजूदा में शिमला में सहायक शाखा प्रबंधक के तौर पर कार्यरत सत्या ने कहा कि डॉ सुरजीत तरफ़दार ने सफलता में अमूल्य (invaluable) योगदान दिया है। इसके अलावा परिवार भी हमेशा ही साथ खड़ा रहा। हालांकि पिता अब संसार में नहीं है, लेकिन मां मथुरा देवी खुली आंखों से बेटी को शीर्ष पर देखकर खुश होती है।
बता दें कि सत्या के पति विशाल प्रभाकर मौजूदा में सीनियर कंसल्टेंट के तौर पर कार्यरत हैं। रिमोट ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर सत्या सफलता की उड़ान भर रही है। बहरहाल “सत्या” की सफलता उन युवाओं के लिए एक खास संदेश है जो जल्द ही जीवन में हार मान लेते हैं। कठिन आर्थिक स्थिति होने के बावजूद भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है।
दिल्ली (Delhi) में एक समाजसेवी के रूप में पहचान बना चुकी नाहन की बेटी व दंत चिकित्सक डॉक्टर नीरजा का कहना था कि वो सत्या के बचपन के समय ददाहू में पोस्टेड थी, अक्सर ही सत्या तड़के उठकर नियमित तरीके से पढ़ा करती थी तब इस बात का अंदाजा लगता था कि यह बच्ची जीवन में संघर्ष की बदौलत कुछ हासिल करेगी। बता दे कि सत्या एक आठ साल की बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी भी बखूबी उठा रही है।