मंडी (वी कुमार) : त्रिवेणी के नाम से विख्यात रिवालसर शहर में इन दिनों बौद्ध धर्म का महाकुंभ चला हुआ है। इस महाकुंभ में बौद्ध धर्मगुरू दलाईलामा विशेष रूप से आए हुए हैं। 12 वर्षों के बाद इस महाकुंभ का आयोजन रिवालसर में किया जाता है और इसमें हर बार बौद्ध धर्मगुरू विशेष रूप से शिरकत करने आते हैं। यह महाकुंभ बौद्ध धर्म के आचार्य रहे गुरू पदमसंभव के जन्मदिवस के उपलक्ष पर आयोजित किया जाता है।
12 वर्षों के बाद आने वाले वर्ष को वानर वर्ष माना जाता है और इस वर्ष का बौद्ध धर्म में विशेष महत्व होता है। तीन दिवसीय महाकुंभ के दूसरे दिन यानी वीरवार को सुबह 5 बजे दलाईलामा ने स्थानीय मठ में पूजा-अर्चना की। यह पूजा-अर्चना करीब दो घंटे तक चली। इस पूजा के माध्यम से दलाईलामा ने जगत कल्याण के लिए मंगलकामना की। इसके बाद दलाईलामा ने लोगों से मुलाकात की और फिर विश्राम किया।
सुबह 8:30 पर फिर से पूजा का आयोजन किया गया जिसमें सैंकड़ों बौद्ध अनुयायियों ने भी भाग लिया। इस पूजा के बाद दलाईलामा ने अपने हाथों से बौद्ध अनुयायियों को प्रसाद बांटा। उपरांत इसके दलाईलामा ने रिवालसर की पवित्र झील के तट पर बौद्ध अनुयायियों को दीक्षा दी। इस प्रक्रिया को बौद्ध धर्म में रिग्जिन दुंडूप यानी विद्याधर सिद्धार्थ कहा जाता है।
इस प्रक्रिया में बौद्ध भिक्षु भाग लेते हैं, जो भी बौद्ध भिक्षु आचार्य पदमसंभव से संबंधित योग साधना या फिर शिक्षाओं का अभ्यास करना चाहता है उसके लिए रिग्जिन दुंडूप की प्रक्रिया में भाग लेना अनिवार्य होता है। इस प्रक्रिया में भाग लेने के बाद दलाईलामा उसे अभ्यास करने की अनुमति प्रदान करते हैं।
बुधवार को सैंकड़ों की संख्या में आए बौद्ध भिक्षुओं ने इस प्रक्रिया में भाग लेकर अभ्यास की अनुमति प्राप्त की। इसके साथ ही दलाईलामा ने तिब्बति भाषा में प्रवचन देकर उपस्थित अनुयायियों का मार्गदर्शन भी किया। हालांकि वीरवार को भी बारिश का दौर जारी रहा, लेकिन बौद्ध अनुयायियों के उत्साह में कोई कमी नजर नहीं आई।